आपत्ति वाले टेंडर को मिली हरीझंडी, एनओसी मांगी
जागरण संवाददाता, बांदा : ई-टेंडर के तहत आठ खदानों के लिए प्रशासन ने सहमति पत्र दे दिया है। अब इनसे ए
जागरण संवाददाता, बांदा : ई-टेंडर के तहत आठ खदानों के लिए प्रशासन ने सहमति पत्र दे दिया है। अब इनसे एनओसी और माइ¨नग प्लान मांगा गया है। जब ठेकेदार दोनो प्रमाणपत्र खनिज विभाग को देगा तो उसे खनन शुरू कराने की अनुमति दे दी जाएगी। जानकारों के मुताबिक इस प्रक्रिया में अभी दस दिन का और समय लग सकता है। हालांकि जिला स्तर पर ही अधिकारियों की टीम एनओसी प्रदत्त करेगी।
जिले में अल्प अवधि पट्टे के तहत दस खदानों के लिए टेंडर निकाले गए थे। जिसमें किन्हीं कारणों से दो को निरस्त कर ईं-टेंड¨रग प्रक्रिया के तहत आठ के लिए निविदाएं मांगी गईं थीं। जिसमें 33 लोगों ने निविदाएं प्रस्तुत कीं। डेढ़ सौ घन मीटर से कई गुना रेट पर सभी टेंडर खुले। जिसमें हठेठीपुरवा प्रथम नैनीताल के शैलेंद्र यादव को मिला। जबकि द्वितीय सिविल लाइन बांदा के वीर ¨सह को मिला था। इसी प्रकार खप्टिहाकलां 356 गोरखपुर के मर्दन एक्सप्रेस-वे को मिला। खप्टिहाकलां 455 अर्दली बाजार बांदा के रवींद्र ¨सह, ¨सधनकला 683 पार्थ कान्सट्रेक्शन बसंत चतुर्वेदी झांसी की झोली में गया। कुल्लूखेड़ा 817 डिजियाना के तेजीन्दर पाल इंदौर को, चंदौर खदान नार्दन एक्सप्रेसवे गोरखपुर और लमेहटा खदान एसोसिएटेड कार्मस भोपाल को मिला था। लेकिन शैलेंद्र यादव नैनीताल के टेंडर पर किसी ने आपत्ति जताई थी। आरोप लगाया गया था कि प्रस्तुत किए गए अभिलेख सही नहीं हैं। जिलाधिकारी ने मामले को संज्ञान लेते हुए अजय यादव को छोड़कर अन्य सात को सहमति पत्र दे दिया था। वहीं अजय के अभिलेखों की जांच के निर्देश दिए थे। यूपी इलेक्ट्रानिक से हुई जांच के बाद अभिलेख सही पाए गए। जिसको सहमति पत्र दिया गया है।
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फर्जी रवन्ने के दम पर मटौंध के रास्ते आ रही मौरंग
फर्जी रवन्ने के दम पर मध्यप्रदेश से बांदा जिले में मौरंग आने की चर्चा है। बताते हैं कि मटौंध के रास्ते जो मौरंग आ रही है उनके पास फर्जी रवन्ना है। दूसरे प्रदेश के रवन्ना होने के कारण जिले के अधिकारी भी गलत और सही की पुष्टि नहीं कर पाते हैं। वहां पर फर्जी रवन्ना के साथ अवैध खनन की मौरंग भी होती है।