जायद के लिए साढ़े दस कुंतल उर्द और मूंग का बीज
जागरण संवाददाता, चित्रकूट: खरीफ और रबी की फसलें पककर तैयार हैं। किसान इन्हें खेत खलिहान से सुरक्षित
जागरण संवाददाता, चित्रकूट: खरीफ और रबी की फसलें पककर तैयार हैं। किसान इन्हें खेत खलिहान से सुरक्षित घर ले जाने में जुटे हैं। वहीं कृषि विभाग खरीफ रबी के बाद जायद फसलों की तैयारी में लगा हुआ है। दस कुंतल उर्द और मूंग का बीज किसानों के लिए ब्लाक स्तर पर स्थापित राजकीय बीज गोदामों में उपलब्ध करा दिया गया है। किसान संबंधित ब्लाक के बीज गोदाम से खरीददारी कर जायद की फसल की बुआई कर सकते हैं।
बता दें कि जायद में विभिन्न प्रकार सब्जियां, खीरा, ककड़ी, दलहन में उर्द और मूंग आदि फसलें शामिल होती हैं। गर्मी के सीजन में जायद की फसलों के लिए सर्वाधिक और अनवरत पानी की जरूरत पड़ती है। बुंदेलखंड पानी के मामले में सदैव कंगाल रहा है और जब बात गर्मी की हो तो यह समस्या कई गुना बढ़ जाती है। ऐसे में जायद की फसलें ज्यादातर उन नदियों के किनारे पैदा होती हैं जिनमें गर्मी के सीजन में भी पर्याप्त मात्रा में पानी रहता है। इसके अलावा निजी नलकूपों के आसपास भी जायद की फसल होती हैं। यहां पर दशकों से चली आ रही अन्ना प्रथा के कारण भी जायद की फसलों का क्षेत्रफल बढ़ नहीं पाया। पानी की उपलब्धता के बावजूद अन्ना जानवरों के डर के चलते किसान जायद की फसलों का उत्पादन करने से बचते हैं क्योंकि इनकी रक्षा के लिए उन्हें 24 घंटे सावधान रहना पड़ता है। अब तो अन्ना जानवरों की तादाद और बढ़ चुकी है। जायद फसलों में से उर्द और मूंग का साढ़े दस कुंतल बीज कृषि विभाग में उपलब्ध है।
हर ब्लाक में बीज उपलब्ध
कृषि उपनिदेशक जगदीश नारायण ने बताया कि जिले में जायद की फसल बहुत कम क्षेत्रफल में होती है। विभाग में उर्द और मूंग का लगभग साढ़े दस कुंतल बीज उपलब्ध है।ब्लाक स्तर पर खुले राजकीय बीज गोदामों में एक कुंतल उर्द और एक कुंतल मूंग का बीज भेज दिया गया है। इच्छुक किसान संबंधित ब्लाक से उर्द और मूंग का बीज खरीदकर बुआई कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि उर्द और मूंग के अलावा विभाग में कोई अन्य बीज उपलब्ध नहीं है।