बिजली न होने पर तड़प जाते है जेल के बंदी
बांदा, जागरण संवाददाता : मंडल कारागार में बंदियों के लिए जनरेटर की कोई व्यवस्था नही है। बिजली के जान
बांदा, जागरण संवाददाता : मंडल कारागार में बंदियों के लिए जनरेटर की कोई व्यवस्था नही है। बिजली के जाने पर बंदी तड़प जाते है। सबसे बुरा हाल रात के समय होता है। दिन तो बंदी बैरेक से बाहर निकलकर हवा में बैठ जाते है। रात के समय बैरकों को बंद कर दिया जाता है। बंदी बैरक के अंदर तड़पते रहते हैं।
मंडल कारागार में इस बंदियों को रखने की क्षमता 556 है। लेकिन वर्तमान समय में जेल में 1350 बंदी निरुद्ध है। बंदियों को रखने के लिए जेल में महज 20 बैरेक है। बैरकों में क्षमता से दो गुना से अधिक बंदी बंद है। दिन में तो बंदी इधर-उधर समय काट लेते है लेकिन रात के समय बंदियों को करवट बदलने की भी जगह नही मिलती है। बैरकों में गर्मी से निजात दिलाने के लिए पंखे तो लगे है। लेकिन जनरेटर की कोई व्यवस्था नही है। इधर एक पखवारे से रात के समय 3 से 4 घंटे बिजली गुल रहती है। जिससे बंदी तड़प जाते है। बैरकों के बंद होने से वह अंदर ही पसीने से नहाए रहते हैं। न्यायालय आए बंदी ने बताया कि जेल में बंदियों के लिए शासन ने दस हार्स पावर का जनरेटर उपलब्ध कराया है लेकिन उससे महज अधीक्षक, जेलर व कार्यालय की ही बिजली, पंखा, कूलर आदि चलाए जाते है। जनरेटर से बैरिकों में कनेक्शन नही किए गए है। भीषण गर्मी में बंदी तड़पते रहते है। कूलर की भी कोई व्यवस्था नही है। अधिकारियों से कहा जाता है तो वह कोई ध्यान नही दे रहे है। इस संबंध में कारागार अधीक्षक हरिबख्श ¨सह का कहना है कि बैरकों में पंखे की व्यवस्था है। जनरेटर से पूरी जेल व बैरकों में बिजली नहीं जलाई जा सकती है। बैरकों में कूलर व जनरेटर से पंखा चलाने के नियम जेल मैनुअल में नही हैं।