रोडवेज की खटारा बसों से हो रहा है सफर
बांदा, जागरण संवाददाता : मंडल में 20 फीसदी बसों को कंडम घोषित कर दिया जाना चाहिए लेकिन परिवहन निगम ऐ
बांदा, जागरण संवाददाता : मंडल में 20 फीसदी बसों को कंडम घोषित कर दिया जाना चाहिए लेकिन परिवहन निगम ऐसी ही बसों को ऊपरी मरहम पट्टी करके सड़क पर दौड़ा रहा है। जो कुछ ही दूरी चलने के बाद हांफ जाती है। कभी-कभी तो बीच रास्ते में ही बंद हो जाती है। धक्का लगाने के बाद भी घंटों स्टार्ट नही होती है। मंडल में राजकीय परिवहन निगम की 301 बसे हैं। 25 बसें अनुबंधित चल रही हैं। अनुबंधित बसों की स्थिति तो ठीक है लेकिन राजकीय बसों की स्थित बेहद खराब है। 20 फीसद ऐसी भी बसें सड़क पर दौड़ रही हैं जो अपना छह वर्ष व आठ लाख किलो मीटर चलने का मानक पूरा कर चुकी है। लेकिन उनको कंडम घोषित नहीं किया गया है। ये धक्का लगाने के बाद ही स्टार्ट होती हैं। छोटे-छोटे बस स्टेशनों में इन्हें चालक स्टार्ट रखता है ताकि दोबारा धक्का लगाकर स्टार्ट न कराना पड़ें। चालकों का कहना है कि बसों को धक्का लगाकर स्टार्ट कराने में यात्री आनाकानी करते हैं। चालकों को कहना है कि बसों में महज ऊपरी डेंटपेंट कर दिया गया। अंदर से बसे खोखली हैं। यहां तक कि डिपो में भी बसों को ठीक प्रकार से दुरुस्त नहीं किया जाता है। सामान की कमी बताकर चलता कर दिया जाता है। बसों के टायर भी ठीक नहीं है। रब¨ड़ग टायर डाल दिए जाते है। जनपद की जर्जर सड़कों में कुछ दिन भी नहीं चलते हैं। रास्ते में बस के पंचर होने पर उन्हे अपनी जेब से ठीक कराना पड़ता है। इसका कोई पैसा विभाग से नहीं दिया जाता है। कुछ कहने पर कार्रवाई की धमकी दी जाती है। इस संबंध में क्षेत्रीय प्रबंधक आशीष चर्टजी ने यह कहकर कुछ भी बताने से मना कर दिया कि वे अभी व्यस्त हैं।
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इनसेट -
दो चालक सेवानिवृत
चालक रज्जाक खां व मुन्ने बाबू शनिवार को सेवानिवृत हो गए। सर्विस काल में कठिन चुनौतियों के बाद भी उन्होंने कुशलता पूर्वक कार्य किया। उन्हें चालक व परिचालकों ने भावभीनी विदाई दी। कर्मचारी नेता सुदामा कुशवाहा ने कहा है कि विभाग द्वारा चालकों की नियुक्ति नहीं की जा रही है। ऐसे में स्थाई चालकों की खासी कमी हो गई है। संविदा चालकों से काम लिया जा रहा है। संविदा चालकों पर अधिकारी गैरजरूरी दबाव बनाकर काम ले रहे हैं।