जेल के हालातों की हुई गोपनीय जांच
बांदा, जागरण संवाददाता : मंडल कारागार में जांच से भयभीत जेल अधिकारियों की खुद को हेरफेर से बचाने की
बांदा, जागरण संवाददाता : मंडल कारागार में जांच से भयभीत जेल अधिकारियों की खुद को हेरफेर से बचाने की सभी तैयारियां धरी की धरी रह गईं। सूत्रों का कहना है कि उच्च न्यायालय द्वारा गोपनीय तरीके से कराई गई जेल के भीतर के हालातों की जांच में एक बार फिर जेल अधिकारियों द्वारा बंदियों को खाना देने और दुर्व्यवहार संबंधित अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। सूत्र बताते हैं कि जांच अधिकारी ने पूर्व न्यायिक अधिकारियों द्वारा लगाए गए अनियमितताओं के आरोपों को सही पाया है। गोपनीय रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंप दी गई है। रिपोर्ट उच्च न्यायालय को भेजी जा रही है। मंडल कारागार में व्याप्त अनियमितताओं को लेकर सामाजिक संगठन पीयूसीएल ने उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर करते हुए मानवाधिकार उल्लंघन पर कार्रवाई की मांग की थी। हाईकोर्ट ने मामले को संज्ञान लेते हुए जिला जज बांदा से चार सप्ताह के भी अपनी रिपोर्ट देने के आदेश दिए थे। इधर हाईकोर्ट ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव इलाहाबाद एसएन अग्निहोत्री को को निर्देश दिए थे कि वह मंडल कारागार बांदा की गोपनीय तरीके से जांच कर रिपोर्ट दें। हाईकोर्ट के निर्देश पर उन्होने 1 जनवरी 2016 को मुख्यालय आकर जेल में विधिक साक्षरता का शिविर लगाया ताकि किसी को यह संदेह न हो कि वह जांच करने आए हुए। उनके साथ कई अधिवक्ता रामकिशुन, अविनाश चंद बाबू, शंभू प्रसाद, जयराम ¨सह, राजेंद्र ¨सह परिहार आदि मौजूद थे। बाद में उन्होने जेल की अनियमितताओं की गोपनीय तरीके से जांच की। सूत्रों की माने तो जांच में पूर्व न्यायिक अधिकारी व समाजिक संगठन द्वारा लगाए गए अनियमितताओं के आरोप सही पाए गए। जांच अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंप दी है। सूत्रों का यह भी कहना है कि जांच को लेकर जेल अधिकारी खासे सकते में थे। जांच में कोई अनियमितताएं उजागर न हो इसके लिए बंदियों को रटाया जा रहा था कि बेहतर खाना मिलता है, कोई पैसा नहीं मांगता। इस मुद्दे को दैनिक जागरण ने 1 फरवरी के अंक में प्रमुखता से प्रकाशित किया था। वरिष्ठ अधिवक्ता एवं पीयूसीएल के मंजरअली ने कहा कि उनको खुशी है कि जांच में जेल अधिकारियों की अनियमितता आखिर उजागर हो गई। कहा कि इससे बंदियों को खासी राहत मिलेगी।