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1392 स्कूलों में एक भी मॉडल स्कूल नहीं

बांदा, जागरण संवाददाता : अपने उच्चाधिकारियों की कार्यशैली से विवादों से घिरे बेसिक शिक्षा विभाग अपने

By Edited By: Published: Fri, 28 Aug 2015 01:04 AM (IST)Updated: Fri, 28 Aug 2015 01:04 AM (IST)
1392 स्कूलों में एक भी मॉडल स्कूल  नहीं

बांदा, जागरण संवाददाता : अपने उच्चाधिकारियों की कार्यशैली से विवादों से घिरे बेसिक शिक्षा विभाग अपने 1392 स्कूलों पर लाखों के दावे करने से पीछे नहीं हटता है लेकिन विभाग की कथनी-करनी में कितना फर्क है इस बात के खुलासे को इतना बताना काफी है कि जिले में लाख कोशिशों के बाद भी एक भी स्कूल आदर्श स्कूल की श्रेणी में नहीं है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिम्मेदार अधिकारी और उनके अधीनस्थ शिक्षक बुंदेलखंड में शिक्षा की कैसी तस्वीर बना रहे हैं। मंडल मुख्यालय का यह हाल है तो मंडल के जिलों की तस्वीर कैसी होगी, भगवान मालिक है। परिषदीय विद्यालयों में योग्य कर्मठ अध्यापकों की कमी नहीं है। क्षेत्र चाहे नरैनी हो या जसपुरा अथवा कमासिन सभी जगह शिक्षक जिम्मेदारी से अध्यापन कर रहे हैं। अडचन केवल जिम्मेदार अधिकारियों के ²ष्टिकोण में आए बदलाव का है। बीआरसी स्तर पर तैनात एक दर्जन कर्मचारियों की फौज जो शिक्षण कार्य की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए है। वह कमाई में संलग्न बताए जा रहे हैं। माननीय उच्च न्यायालय के इस आदेश कि अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों के बच्चे सरकारी स्कूलों में दाखिला लें। इसके पीछे उस दर्द को समझने की जरूरत है जो कृष्ण-सुदामा के अंतर को बढ़ा रहा है। जिले में बेसिक शिक्षा सचिव ने वर्ष 2014-15 को मॉडल विद्यालय का चयन शुरू करने को हरी झंडी दी। शिक्षकों के चयन से लेकर सबकुछ हुआ लेकिन खाऊ-कमाऊ नीति के चलते उन्हीं अधिकारियों ने पलीता लगा दिया। कारण बताया गया कि अभिभावक ही अपने बच्चों को नहीं पढ़ाना चाहते। यानी अभिभावक स्कूल ही नहीं भेज रहे तो शिक्षक क्या करें। उधर, शिक्षक नेता डीसी श्रीवास्तव का कहना है कि पहले परिषदीय विद्यालयों में खेलकूद की प्रतियोगिताएं होती थीं। उनका मंडलस्तर तक प्रदर्शन होता था। इससे बच्चों को स्कूल से लगाव होता था और उनकी रुचि स्कूल आने में बढ़ती थी लेकिन इनको बंद कर दिया गया। मनोवैज्ञानिक डा. जनार्दन प्रसाद त्रिपाठी तथा सेवानिवृत अधिकारी मातृदत्त मिश्र कहते हैं कि बच्चों को स्कूल लाने को उनके भीतर रुचि पैदा करनी होगी। सिर्फ रोना पीटने से कुछ नहीं होगा।

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क्या फंसा मॉडल स्कूल में पेंच

बांदा : मॉडल स्कूलों के लिए जिले में तीन विद्यालयों का चयन हुआ था इनमें शहर के छत्रसाल परिषदीय विद्यालय, स्टेशन रोड व शुक्लकुआं परीषदीय विद्यालय तथा महोखर स्थित परीषदीय विद्यालय शामिल थे। इन स्कूलों में बेसिक शिक्षा सचिव एच.एल. गुप्ता ने दौरा करके व्यवस्थाएं जांची थीं। छत्रसाल स्कूल को देखने के बाद सचिव ने तीनों स्कूलों को मॉडल स्कूल बनाए जाने की हरी झंडी दे दी थी। इन स्कूलों में तैनाती के लिए करीब डेढ़ दर्जन शिक्षकों को डाएट में प्रशिक्षण दिया गया। सूत्रों का कहना है कि पुराने अध्यापकों और नए की तैनाती को लेकर आपसी रस्साकसी ने योजना की पूरी तस्वीर ही बदल दी।

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मामला गंभीर, जांच कराएंगे - एडी बेसिक

मामला गंभीर है और इसकी जांच कराई जाएगी। बच्चों की पढ़ाई से कोई खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा। मॉडल स्कूलों की परिकल्पना को सही साबित किया जाएगा। - जी.एस. राजपूत, एडी बेसिक, चित्रकूटधाम मंडल


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