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दाल का पानी व सूखी रोटी मिलती थी पाकिस्तानी जेल मे

¨तदवारी, संवादसूत्र : पाकिस्तान की जेल से रिहा होकर यहां पहुंचे मछुआरे का कहना है कि वहां इन लोगों क

By Edited By: Published: Thu, 27 Aug 2015 01:12 AM (IST)Updated: Thu, 27 Aug 2015 01:12 AM (IST)
दाल का पानी व सूखी रोटी मिलती थी पाकिस्तानी जेल मे

¨तदवारी, संवादसूत्र : पाकिस्तान की जेल से रिहा होकर यहां पहुंचे मछुआरे का कहना है कि वहां इन लोगों को बहुत यातनाएं दी जाती थीं। खाने में दाल का पानी और सूखी रोटी मिलती थी। उनकी चिट्ठियां भी गायब कर दी जाती थीं। यहां आने पर परिजनों व ग्रामीणों ने इन्हें गले लगा लिया।

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पाकिस्तान से यहां पहुंचे थाना क्षेत्र के धौसड़ गांव निवासी राजाराम कुशवाहा (50) पुत्र भवानीदीन ने बताया कि उसके परिवार में तीन पुत्र, तीन पुत्रियां व पत्नी समपत समेत सात लोग हैं। गांव में कोई रोजगार नहीं मिला तो जीवन यापन करने के लिए वह ओखा बंदरगाह, मनोरी (गुजरात) चले गए। वहां उसे समुद्र में जाकर मछली मारने का काम मिला। पहले दिन ही वह जब नाव से मछली पकड़ने पहुंचा। पाकिस्तानी जल सेना ने नाव की घेराबंदी कर पाकिस्तानी सीमा में आने की बात कही और उसे गिरफ्तार कर लिया। खर्च के रुपए छीनकर करांची की लांड्री जेल में डाल दिया। वहां की जेल में जमकर सितम किया गया। खाने में दाल का पानी और सूखी रोटी मिलती थी। कभी-कभी तो गोश्त भी परोस दिया जाता था लेकिन वह चुपचाप उसे दूसरे कैदी को दे दिया करते थे। 17 महीने तक पाकिस्तान की जेल में गुजारे। परिवार वालों ने सैकड़ों पत्र भेजे और खुद उसने भी कई खत लिखे, लेकिन एक भी पत्र न तो उसे मिला और न ही उसके परिवार वालों को ही मिल सका। परिवार वालों की याद कर वह जेल में छुप छुपकर खून के आंसू रोता था और सुरक्षाकर्मियों की यातनाएं झेलता था। 17 महीने बाद जब उनकी रिहाई की सूचना मिली तो ऐसा लगा जैसे सारे जहां की खुशियां मिल गईं।

कुछ दिन पूर्व पाकिस्तानी जेल में बंद रामराज और उसके एक और साथी आसिफ खां की रिहाई की खबर परिवार वालों को मिली तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मंगलवार की शाम को जब दोनों मछुवारे घर पहुंचने वाले थे तो उनके घर वाले बस स्टैंड पर जाकर पहुंचे और उनके बस से उतरते ही परिवार वालों ने गले से लगा लिया। घर पहुंचने पर ग्रामीणों ने भी उनका स्वागत किया और जश्न मनाया। काफी समय बाद अपने घर वालों से मिलने के गम में दोनो युवकों की आंखों से आंसू छलछलाते रहे। गांव में खुशी का माहौल है। हांलाकि आसिफ और उसका परिवार गांव में नहीं मिले। खुशी मनाने को वह किसी धार्मिक स्थल जा चुके हैं।


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