जेल में पानी को रोज मचती मारामारी, लगती लाइन
बांदा, जागरण संवाददाता : सूखे बुंदेलखंड में पानी की किल्लत से आम लोगों को ही नही मंडल कारागार में बंदियों को भी जूझना पड़ रहा है। हर रोज दैनिक दिनचर्या के लिए पानी की समस्या को लेकर मारामारी की नौबत बनी रहती है। वहीं लंबी लाइन में लगने के बाद इस्तेमाल को पानी मिल पाता है। इससे बंदी खासे परेशान रहा करते हैं।
मंडल कारागार में बांदा जिले के अलावा चित्रकूट जिला व दूर दूर के बंदी निरूद्ध हैं। 567 बंदियों की क्षमता वाली इस जेल में इन दिनों बंदियों की संख्या दो गुने से ज्यादा साढ़े चौदह सौ होना बताई जा रही है। इसमें आधा सैकड़ा महिला बंदी भी शामिल हैं। जेल की व्यवस्था जहां 567 बंदियों के हिसाब से है वहीं दोगुने बंदी होने से लेटने के संक्रीर्णन के साथ पानी की भी दिक्कत होती है। सूत्रों की मानें तो जेल में सुबह से पानी के लिए लंबी लाइन लग जाती है। एक कुंआ व दो हैंडपंप के आलावा सप्लाई का पानी आता है। सप्लाई का पानी पूरे बंदियों को मिलने के पहले नल बंद हो जाता है। चंद पानी की टंकियों में भी बंदियों की खासी भीड़ रहती है। इसमें जो बंदी रसूख व हिम्मत वाला बड़ा अपराधी होता है वह तो अपना असर दिखाकर आसानी से पानी पा जाता है पर जो सीधे व वृद्ध बीमार बंदी होते हैं उन्हें इस समस्या का ज्यादा सामना करना पड़ता है। वह बेचारे नियम का उल्लघंन नही कर पाते हैं। कई बार ऐसा मौका भी पड़ जाता है जब पहले मैं पहले मैं के चक्कर में मारामारी की नौबत बनने लगती है। ऐसे में बंदी व बंदी रक्षक ही बीच में आकर सुलह समझौता कराते हैं।
खौफ में रहते नये बंदी
बांदा : किसी भी अपराधिक घटना में फंसने के बाद जब कोई नया बंदी जेल जाता है तो उसे सबसे ज्यादा दिक्कत होती है। होता यह है कि उस नये बंदी को शुरू शुरू में वहां के समूचे नियम कानूनों की जानकारी नही होती है। इससे मामूली केस में फंसे बंदी शुरू में भयभीत रहते हैं धीरे-धीरे वह भी वह के तौर तरीकों में ढल जाते हैं।
सांसद ने भी समझी पानी की समस्या
बांदा : जेल में पानी की समस्या ऐसा नही है कि कोई दूसरा नही जानता है बीते चार दिन पहले जेल के निरीक्षण को पहुंचे भाजपा सांसद को भी पानी की दिक्कत होना बताई गई थी। शायद यही वजह है कि उन्होंने अपनी निधि से दो समरसेबल व एक हैंडपंप लगवाने को कहा था।
लाइन में लगकर काम करना अनुशासन के सिस्टम में होता है। चित्रकूट जिले के बंदियों के भी निरूद्ध होने से संख्या ज्यादा रहती है। इससे थोड़ा बहुत दिक्कते होती हैं। जल संस्थान की ओर से भरपूर पानी उपलब्ध कराया जाता है। - संतोष श्रीवास्तव, वरिष्ठ अधीक्षक, मंडल कारागार