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उर्दू व ¨हदी मिश्रित शायरी के पहचान थे बेकल

बलरामपुर : बेकल साहब की उर्दू व ¨हदी मिश्रित शायरी उनकी अलग पहचान थी। ये मिठास किसी दूसरे शायरों में

By Edited By: Published: Sat, 03 Dec 2016 11:20 PM (IST)Updated: Sat, 03 Dec 2016 11:20 PM (IST)

बलरामपुर : बेकल साहब की उर्दू व ¨हदी मिश्रित शायरी उनकी अलग पहचान थी। ये मिठास किसी दूसरे शायरों में नहीं पाई जाती है। उनकी एक रचना है -

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सबके होठों पे तबस्सुम था मेरे कत्ल के बाद। जाने क्या सोचकर रोता रहा कातिल तन्हा।।

- डॉ. तारिक कबीर

महाविद्यालय उर्दू शिक्षक व शायर

बलरामपुर जिले के साथ पूरे देश ने साहित्य का एक अनमोल हीरा खो दिया। बेकल उत्साही का निधन अपूर्णनीय क्षति है। हमेशा जिंदादिली से ही लोगों से मिलते थे।

- आजाद सिंह

समाजसेवी

पद्मश्री बेकल उत्साही ने जिले में कवियों व शायरों की युवा टीम तैयार की। उनके पास जो गया उसे कुछ न कुछ सीखने को ही मिला। देश के लिए अपूर्णनीय क्षति है।

डॉ. प्रकाश चंद्र गिरि

शिक्षक एवं कवि

बेकल जी की रचनाओं में मिट्टी की महक मिलती है। अवधी भाषा के बेताज बादशाह का खिताब शायर देते हैं। उर्दू और ¨हदी कवियों के रोल मॉडल हैं।

अनिल गौड़, कवि

अवध की माटी की खुशबू देश में ही नहीं विदेशों में बिखेरा है। बेकल उत्साही जी की रचनाओं में गांव, गरीब और प्रेम का समावेश मिलता है।

डॉ. अरुण प्रकाश पांडेय

शिक्षक व कवि

पद्मश्री बेकल उत्साही जिले के ही नहीं पूरे देश के लाल थे। कौमी एकता की मिशाल थे। सामाजिक क्षेत्र में इनका योगदान साहित्यक क्षेत्र से कम नहीं। गंगा जमुनी संस्कृति का उन्होंने पूरे जीवन संदेश दिया।

इशरत जमाल

चेयरमैन नगर पालिका, बलरामपुर


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