अयोध्या में जन्मे प्रभु राम, झमू उठे नर-नारी
बलरामपुर : तुलसीपुर के अर्जुनपुर में स्थित श्रीराम जानकी मंदिर में चल रही संगीतमयी श्रीराम कथा के ती
बलरामपुर : तुलसीपुर के अर्जुनपुर में स्थित श्रीराम जानकी मंदिर में चल रही संगीतमयी श्रीराम कथा के तीसरे दिन अयोध्या से आए संत सर्वेश जी महाराज ने कहा एक दिन महाराज दशरथ को चिंता हुई की मेरे कोई संतान नही है। इस चिंता के निवारण के लिए वह गुरुजी के पास गए और अपनी बात बताई। इस प्रसंग को महाकवि तुलसीदास जी ने लिखा है- गुरु गृह गए तुरत महिपाला चरण लागी करी विनय विशाला। गुरुजी ने राजा दशरथ को समझाया कि धीरज रखो एक नहीं चार राजकुमार होंगे लेकिन उसके लिए एक पुत्र कामेष्टि यज्ञ करना होगा। श्रृंगि ऋ षि आएंगे जो हवन करेंगे और प्रसाद देगे। इसे जो रानियां ग्रहण करेंगी और प्रतिफल में चार लाल आंगन में खेलेंगे। इसके लिए चिंता नहीं चिंतन करना होगा। परिणाम स्वरूप समय होने पर नवमी तिथि दिन मंगलवार समय 12 बजे शुक्ल पक्ष में चैत्र मास को भगवान अपनी आभा प्रभा के साथ अयोध्या धाम पधारे। सब हर्षित थे चारों ओर खुशी छाई ह।ै लोग नाच गा रहे हैं। बधाई बज रही है- अवध में आनंद भयो जय हो रहुवर लाल की जय हो महराज की। भगवान के जन्म की कथा सुनते ही लोग झूमने लगे। मौके राम प्रसाद सिंह, विभूतिराज, अशोक सिंह, रणविजय, ,लल्ला, शुशील सिंह व विक्रात आदि लोग मौजूद रहे