शिक्षा के साथ अच्छे संस्कार देने का उद्देश्य
बलरामपुर : विद्या भारती का उद्देश्य बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ अच्छे संस्कार देना है। जिससे वह देश
बलरामपुर : विद्या भारती का उद्देश्य बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ अच्छे संस्कार देना है। जिससे वह देश व समाज के हित में कार्य कर सकें। यह बातें भारतीय शिक्षा समिति के प्रदेश निरीक्षक राजेंद्र यादव ने रविवार को सरस्वती विद्या मंदिर रमनापार्क में आयोजित संकुल स्तरीय आचार्य विकास वर्ग गोष्ठी में कही। कहा कि इसका आरंभ सन 1952 में संस्कार पूर्ण शिक्षा के लिए किया गया था। सरस्वती शिशु एवं विद्या मंदिर विद्यालयों में प्रधानाचार्य व आचार्य की यह जिम्मेदारी है कि वह स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा दें। इस गोष्ठी का उद्देश्य इन स्कूलों में शैक्षिक स्तर का उन्नयन करने के लिए शिक्षकों को प्रेरित करना है। संकुल प्रमुख प्रवीन कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि विद्या भारती की शिक्षा पद्धति अन्य माध्यमों से विभन्न है। इस पद्धति में अभिनव का भी प्रयोग किया जाता है। शिक्षकों को इन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। गोष्ठी में उत्तम कुमार ने शिक्षकों को परीक्षा मूल्यांकन एवं आचार्य के बारे में भी बताया। इससे पूर्व कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि रहे जिला संघ चालक राम शंकर द्विवेदी, प्रबंधक डॉ. ओपी मिश्र ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। गोष्ठी के विभिन्न अंशों में देवी पाटन मंडल के विभिन्न जिलों से आए शिक्षकों ने निर्धारित विषयों पर अपने व्याख्यान दिए। गोष्ठी के अंत में विद्यालय के प्रधानाचार्य दीन दयाल पाठक व सुंदर लाल मिश्र ने वंदना, छात्र सांसद, कन्या भारती व संस्कार केंद्र के बारे में लोगों को बताया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. साधना श्रीवास्तव ने किया। गोष्ठी में बलरामपुर, गोंडा, बहराइच के विभिन्न विद्यालयों से आए शिक्षक व प्रधानाचार्य उपस्थित रहे।