Move to Jagran APP

दो बच्चों की मौत से गांव में फैल गया सन्नाटा

बलरामपुर: खाना खाकर रोज की तरह बच्चों को कहानियां सुनाने के लिए चारपाई पर लेटे पिता गिरधारी गुप्त को

By Edited By: Published: Mon, 05 Oct 2015 12:08 AM (IST)Updated: Mon, 05 Oct 2015 12:08 AM (IST)

बलरामपुर: खाना खाकर रोज की तरह बच्चों को कहानियां सुनाने के लिए चारपाई पर लेटे पिता गिरधारी गुप्त को क्या पता था? कि यह रात उनके दो बच्चों के लिए काल बनकर आई है। छह बच्चों में उसके एक ही बेटा था बाकी सभी बेटियां हैं। विष्णु अभी आठ माह का था घर में सबसे छोटा भी था। परिवार का सबसे दुलारा भी था, लेकिन खाना खाकर दूध पिलाने के बाद ही बच्चों की तबियत खराब होना शुरू हो गया। आनन-फानन में पहले घरेलू दवाई हुई आराम ना होने की स्थिति में गांव के पास ही एक निजी क्लीनिक की शरण में आए, इसी दौरान दो वर्षीय माही को भी उल्टी दस्त शुरू हो गई। दोनों का इलाज होने के दौरान पहले विष्णु और उसके बाद माही ने दम तोड़ दिया। सकते में आये परिवार को घर से फिर सूचना मिली की अन्य तीन बेटियों मंथा, सुमन, ममता व रूमन भी उल्टी दस्त से पीड़ित हैं। इस सूचना से गिरधारी पर जैसे गम का पहाड़ टूट पड़ा, उनके इस विपत्ति में ग्रामीण भी शरीक हुए और आनन-फानन में 108 एंबूलेंस को सूचना दी तथा सबको सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया, अस्पताल में पांच वर्षीय ममता अभी भी जिंदगी और मौत से जूझ रही है। पिता गिरधारी घर पर अपने बच्चों का अंतिम संस्कार करने में व्यस्त हो गए। और मां अपनी बेटियों ममता सहित अन्य दो बच्चों के साथ अस्पताल में सूनी आंखों से भगवान से इन्हें बचा लेने की पुकार कर रही है। कोई भी बच्चों का हाल लेने जाता है तो बस उसी से बच्चों को ठीक करने की प्रार्थना करती है। दो बच्चों की हालत ठीक हो जाने से जहां मन को कुछ सुकून है तो दो बच्चों के जाने का अपार गम भी। डॉक्टर जहां इस मौत को फूड प्वाइजनिंग मान रहे हैं, वहीं ग्रामीणों की राय इससे अलग हैं उनका कहना है कि उल्टी दस्त से इस परिवार के अलावा जमुना का तीन वर्षीय पुत्र पप्पू, संतराम की पत्‍‌नी सावित्री, बाबूलाल की दो वर्षीय पुत्री गुड़िया व रामचंदर के दो वर्ष का बेटा धर्मेंद्र भी उल्टी दस्त से पीडि़त हैं, उनका भी तुलसीपुर के निजी चिकित्सालयों में इलाज चल रहा है।

loksabha election banner

---------------

--गांव में गंदगी से महामारी फैलने की आशंका :

जंगल से सटे ग्राम भंगहाकलां में गंदगी का साम्राज्य है। समूचा गांव कूड़े से पटा पड़ा है। गांव के घूर गड्ढे गांव से बिल्कुल सटे हैं। ग्रामीण रामबरन, छेदीलाल, संत नरायन, अयोध्या प्रसाद, रामचंदर, फतेह मोहम्मद, रोजन अली, निब्बर अली, छेदी राम, रामदुलारे, किफायतुल्ला, छविलाल, दाउद, रवि, अवधेश, बाबूराम, घूरे, मेवालाल, अजमत व रमजान आदि ग्रामीणों का कहना है कि गांव में कभी भी नालियों आदि की सफाई नहीं होती है। वर्षों बीत गए यहां के नालियों व कुंओं में किसी दवा का छिड़काव नहीं किया गया है, बारिश हुई नहीं है। यदि समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो महामारी फैल सकती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.