आधी आबादी के लिए एक अस्पताल नहीं
बलरामपुर : तहसील क्षेत्र की करीब साढ़े तीन लाख की आबादी एक मात्र महिला अस्पताल के लिए तरस रही है। सम
बलरामपुर : तहसील क्षेत्र की करीब साढ़े तीन लाख की आबादी एक मात्र महिला अस्पताल के लिए तरस रही है। समूचे क्षेत्र में कोई महिला अस्पताल न होने से प्रसूताओं सहित अन्य महिला मरीजों को जिला महिला चिकित्सालय पर निर्भर रहना पड़ता है। यहां भी समय से न पहुंच पाने का दंश भी उन्हें कभी-कभी झेलना पड़ता है।
हनुमानगढ़ी मंदिर के पीछे खाली पड़े स्वास्थ्य केंद्र के विशाल परिसर में महिला अस्पताल बनवाए जाने की लोगों की पुरानी मांग है। इस स्थान पर करीब एक दशक पूर्व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्थापित होने के बाद यह स्थान खाली हो गया। एक छोटे से भवन में महिला एवं परिवार कल्याण कार्यालय चल रहा है, जबकि एक भवन में सरकारी होम्योपैथिक अस्पताल संचालित है। दो भवन रखरखाव के अभाव में जर्जर होने के कगार पर हैं। खाली पड़े परिसर का कोई उपयोग नहीं है। स्थानीय नागरिकों की मांग है कि इसी स्थान महिला अस्पताल स्थापित कर दिया जाए ताकि इस क्षेत्र की महिलाओं को आसानी से स्वास्थ्य सुविधा मुहैय्या हो सके। सबसे बड़ी समस्या प्रसूताओं के लिए है, सामान्य प्रसव तो स्थानीय सीएचसी में हो जाता है, लेकिन जटिल परिस्थितियों में सर्जरी की आवश्यकता होने पर जिला मुख्यालय रेफर कर दिया जाता है। समय से जिला मुख्यालय न पहुंचने का दंश भी दर्जनों महिलाओं को प्रतिवर्ष झेलना पड़ता है। समूचे क्षेत्र में एक मात्र महिला डॉक्टर यहां तैनात हैं जो केवल प्रसव कराने तक सीमित हैं। अन्य महिलाओं से संबंधित बीमारियों के इलाज के लिए कोई विशेषज्ञ महिला डॉक्टर न होने से आम लोगों की सबसे बड़ी समस्या है। वहीं गरीब एवं ग्रामीण महिलाओं के लिए यह जानलेवा साबित होती है। ग्रामीण क्षेत्रों की खराब सड़कें व आर्थिक विपन्नता के चलते जिला मुख्यालय से इलाज कराना उनके लिए एक कठिन कार्य साबित है। सरकार जहां घर-घर स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित कर रही है, वहीं क्षेत्र में महिला अस्पताल न होने का दंश भी आम महिलाओं को झेलना पड़ रहा है। स्थानीय निवासी श्याम अग्रहरि, मंजीत सिंह मंगी, भाजपा पदाधिकारी मुन्नू तिवारी आदि ने शासन को पत्र भेजकर महिला अस्पताल बनवाने की मांग की है।