मंदिरों में गूंजा मां का जयकारा, हवन पूजन के साथ पूरा हुआ व्रत
बलरामपुर : नवरात्र के अंतिम दिन देवी मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ देखते ही बन रही थी। भोर से ही श्
बलरामपुर : नवरात्र के अंतिम दिन देवी मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ देखते ही बन रही थी। भोर से ही श्रद्धालुओं का रेला मंदिर पहुंच गया और मां भगवती के दर्शन के लिए कतारबद्ध हो गया। नगर से सटे बिजलीपुर मंदिर व तुलसीपुर स्थित देवीपाटन मंदिर में व्रतधारियों ने व्रत समापन के अवसर पर हवन पूजन कर मां दुर्गा से सुख, शांति एवं वैभव की कामना की।
नगर से सटे बिजलीपुर मंदिर में मां बिजलेश्वरी देवी के दर्शन के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा था। घंटों मशक्कत के बाद दर्शन के बाद यहीं पर हवन पूजन कर व्रत संपन्न किया गया। साथ की कन्याओं को भोजन कराकर मनौती भी पूरी की गई।
तुलसीपुर संवादसूत्र के अनुसार
भोर से ही देवीपाटन मंदिर में आदि शक्ति का जयकारा लगाते हुए श्रद्धालु लाइन में लगकर दर्शन प्राप्त किए। नवमी तिथि को सिद्धिदात्री के स्वरूप का दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगी रही जो सूर्यकुंड के चारों तरफ तक फैली रही। महिलाओं की आज भी यात्री निवास तक कतार लगी रही। नौ दुर्गा के नौ स्वरूपों के लिए नौ दिन के नवरात्र का शनिवार को समापन हो गया। लोगों ने नारियल, चुनरी एवं प्रसाद चढ़ाकर सिद्धिदात्री से मनौती मांगी। मंदिर परिसर में नीम के पेड़ के नीचे स्थित नारियल तोड़ने के स्थल पर लोगों की भीड़ नारियल तोड़ने को लेकर लगी रही। प्रसाद की दुकानों पर भारी भीड़ रही। मां की चुनरी की भी जमकर खरीददारी लोगों ने की।
-व्रतधारियों ने हवन कर पूरा किया अनुष्ठान
नवरात्र के समापन पर व्रतधारियों ने यज्ञस्थल पर स्थित हवन कुंड में अपने पुरोहितों के माध्यम से हवन एवं पूजन किया। सुबह से ही इस स्थल पर हवन कर्ताओं की भारी भीड़ रही। दुर्गा सप्तशती श्रीमद्देवीभागवत आदि के समापन पर लोगों ने पूर्णहुति कर अनुष्ठान पूरा किया। हवन कुंड के आसपास भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही।
-सूर्यकुंड में श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी
पानी से लबालब भरे सूर्यकुंड में लोगों ने डुबकी लगाई और मां पाटेश्वरी का दर्शन प्राप्त किया। साथ ही नौका बिहार का आनंद भी लिया। इस बार सूर्यकुंड के जल को साफ सुथरा बनाए रखने के लिए भी अच्छे प्रबंध किए गए हैं। इसके लिए बत्तख और कछुए भी छोड़े गए है ताकि शुद्ध जल सूर्यकुंड में बना रहे। बता दें कि इस जल से आदि शक्ति मां पाटेश्वरी की पूजा भी होती है।
-नेपाल लौट गए रत्ननाथ के अनुयायी
नेपाल से आए सिद्ध रत्ननाथ के अनुयायी रत्ननाथ के प्रतीक दिव्य पात्र को लेकर पुन: नेपाल के दांग में स्थित अपने आश्रम में लौट गए। इनके अनुयायियों द्वारा देवीपाटन मंदिर पर शनिवार को सायंकालीन पूजा में भाग लेंगे। यह इस वर्ष का आखिरी पूजा होगा। इसके बाद अनुयायियों के नेपाल वापस लौटने की प्रथा है।
-मंदिरों में हवन पूजन को जुटे श्रद्धालु
उतरौला : सिद्धिदात्री की विशेष आराधना तथा हवन पूजन के साथ नौ दिनों के नवरात्र का पूजन समाप्त हुआ। नवरात्र व्रतधारियों ने पूर्ण आहूति यज्ञ कर शक्ति स्वरूपा के नौ स्वरूपों का स्मरण करते हुए कन्याओं को भोज कराया। देवी मंदिरों में हवन तथा आहूति का कार्यक्रम शुक्रवार की शाम से शुरू हो गया जो शनिवार को पूरे दिन चलता रहा। ज्वाला महारानी मंदिर, काली माता मंदिर, संतोषी माता मंदिर, आदि शक्ति मंदिर, पेहर तथा महदेइया समेत अन्य मंदिरों के साथ लोगों ने अपने-अपने घरों में आदि शक्ति का आह्वान करते हुए हवन कर व्रत पूरा किया।