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अब पूर्व माध्यमिक विद्यालय बनकटवा होगा शैक्षिक भ्रमण प्रेरणा स्थल

गैंड़ासबुजुर्ग (बलरामपुर) : अब पूर्व माध्यमिक विद्यालय बनकटवा प्रशिक्षु शिक्षकों, शिक्षामित्रों, प्

By Edited By: Published: Mon, 02 Mar 2015 10:29 PM (IST)Updated: Mon, 02 Mar 2015 10:29 PM (IST)
अब पूर्व माध्यमिक विद्यालय बनकटवा होगा शैक्षिक भ्रमण प्रेरणा स्थल

गैंड़ासबुजुर्ग (बलरामपुर) : अब पूर्व माध्यमिक विद्यालय बनकटवा प्रशिक्षु शिक्षकों, शिक्षामित्रों, प्रेरकों, अनुदेशकों के लिए शैक्षिक भ्रमण प्रेरणा स्थल होगा। खंड शिक्षा अधिकारी के प्रस्ताव को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने मंजूरी देते हुए विद्यालय के भौतिक आंतरिक व शैक्षिक स्थित के आदर्श रूप को दिखाने का निर्देश दिया है। दैनिक जागरण ने शिक्षा क्षेत्र उतरौला के पूर्व माध्यमिक विद्यालय की बेहतर स्थिति देखकर गत वर्ष एक जुलाई को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। उसके बाद से विद्यालय को उपायुक्त श्रम एवं सेवायोजन, पूर्व जिलाधिकारी मुकेश चंद्र, जिला पंचायत राज अधिकारी उपेंद्र राज, खंड विकास अधिकारी अवधेश राम, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी जय सिंह समेत कई सामाजिक कार्यकर्ता विद्यालय के भौतिक शैक्षिक स्थिति सुधारने के लिए प्रधानाध्यापक मोहम्मद उस्मान सिद्दीकी, ग्राम प्रधान मुज्जमिल खां व सहायक अध्यापक अबूल आसिम की तारीफ कर चुके हैं। पिछले शैक्षिक सत्र में इस बंद विद्यालय में मोहम्मद उस्मान व अबूल आसिम की नियुक्ति हुई तो उन्होंने ग्राम प्रधान से विद्यालय की स्थिति सुधारने में सहयोग मांगा जिसे ग्राम प्रधान ने सहर्ष स्वीकार करते हुए सहयोग शुरू कर दिया। प्रधानाध्यापक ने सबसे पहले विद्यालय की भौतिक स्थिति सुधारी। जिससे आकर्षित होकर अभिभावकों ने अपने बच्चों को विद्यालय भेजना शुरू कर दिया। आज विद्यालय में पर्याप्त बच्चे हो गए हैं। सरकारी विद्यालय को कांवेंट स्कूलों से बेहतर बनाने के शिक्षकों के प्रयास की चहुंओर प्रशंसा हो रही। वो भी उस समय जब निजी विद्यालयों के प्रति लोगों का आकर्षण ज्यादा दिख रहा है। शिक्षक मोहम्मद उस्मान सिद्दीकी ने बताया कि विद्यालय को संवारने में वह अपने साल भर के वेतन से 15 दिन का वेतन लगाते है। उनका कहना है कि लोग अपने घर व्यापार को संवारने के लिए पैसा लगाते हैं तो हम शिक्षा के मंदिर (इबादतगाह) को संजोने में क्यों नहीं खर्च कर सकते हैं। जहां से हमारा भी जीविका चलता है। बहरहाल शिक्षक के इस अनूठे पहल को देखकर वहां जाने वाले हर शिक्षक को सोचने को मजबूर होना पड़ेगा कि काश मेरा भी विद्यालय ऐसा हो।


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