चेक बाउंस मामले में एक वर्ष का सश्रम कारावास
बलरामपुर : बेचे गए अनाज के मूल्यों के रूप में दिए गए चेकों के बाउंस होने के मामले में न्यायालय ने दो
बलरामपुर : बेचे गए अनाज के मूल्यों के रूप में दिए गए चेकों के बाउंस होने के मामले में न्यायालय ने दो परिवादियों की फरियाद पर दोनों मामलों में अलग-अलग एक वर्ष का सश्रम कारावास तथा एक लाख बीस हजार रुपयों के अर्थदंड की सजा सुनाई है।
कोतवाली क्षेत्र के बौड़िहार निवासी अताउर्रहमान पुत्र मुहम्मद सलीम ने प्रतिवादी रामलोचन पुत्र पांचू निवासी मंझारी को 54 क्विंटल गेहं जनवरी 2011 में 1100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बेचा था। परिवादी का कहना था कि आठ हजार रुपये नकद देने के बाद बीस जनवरी 11 को 51400 रुपये का चेक प्रतिवादी ने दिया। जिसे उसने अपने खाते में जमा कर दिया। चार मार्च 2011 को बैंक ने खाते में पर्याप्त रकम न होने के चलते चेक वापस कर दिया। चेक बाउंस होने के बाद कई बार रकम की मांग की गई लेकिन प्रतिवादी उदासीन रहा। सिविल जज जूनियर डिवीजन राकेश सिंह ने प्रतिवादी के विरुद्ध पारकम्य लिखित अधिनियम के तहत आरोप पाते हुए एक वर्ष का सश्रम कारावास, 70 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड का भुगतान न करने की स्थिति में छह माह की अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी पड़ेगी। इसी आरोप को धौरहरा निवासी अब्दुल बारी पुत्र जब्बार ने जून 2011 में 33 हजार रुपये का गेहूं बेचा था। जिसे 15 जून को भारतीय स्टेट बैंक का चेक दिया गया था। परिवादी का कहना है कि आरोपी चिरकुटिया पीर में सोनी ट्रेडर्स के नाम से फर्म संचालित करता है। परिवादी ने उपज के एवज में मिले चेक को दो सितंबर 2011 में जमा किया, लेकिन खाते में धन न होने के कारण पांच सितंबर को बैंक ने चेक वापस कर दिया। इस मामले में भी आरोपी के खिलाफ पारकम्य लिखित अधिनियम के तहत मामला सही पाते हुए एक वर्ष का सश्रम कारावास, पचास हजार के अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड अदा न कर पाने की दशा में छह माह अतिरिक्त जेल में बिताने होंगे।