बाढ़ की विभीषिका से कराह रहे लोग
बलरामपुर : राप्ती नदी व पहाड़ी नालों का जलस्तर कम हो गया है। मंगलवार को राप्ती नदी पूरी तरह स्थिर दिखी, लेकिन बाढ़ प्रभावित गांवों से पानी कम होने के साथ ही दुश्वारियां बढ़ती जा रही हैं। वहां कच्चे मकान व छप्पर आदि के घर तेजी से गिर रहे हैं। बलरामपुर, उतरौला तहसील, पचपेड़वा ब्लॉक व गैंसड़ी में बाढ़ के कहर की तस्वीर और भी स्याह है। गांवों में संक्रामक रोग फैल रहा है। उल्टी दस्त से पीड़ित लोगों की संख्या अस्पतालों में बढ़ती जा रही है। बाढ़ प्रभावितों के बीच जिला प्रशासन के साथ कई स्वयंसेवी संगठन के लोग राहत सामग्री बांटने में जुटे हैं। कुछ संगठनों द्वारा स्वास्थ्य शिविर का आयोजन भी किया जा रहा है।
सदर विधायक जगराम पासवान ने मंगलवार को बाढ़ प्रभावित कई गांवों का भ्रमण किया। इस दौरान उन्होंने लोगों से हुए नुकसान की जानकारी ली। साथ ही लंच पैकेट के अलावा अन्य खाद्य सामग्री का वितरण किया। विधायक ने कहा कि बाढ़ की आपदा से जो भी नुकसान हुआ है प्रदेश सरकार उसे मुहैया कराने का हरसंभव प्रयास करेगी। वे स्वयं भी पीड़ितों की मदद के लिए तत्पर रहेंगे। जहां भी जरूरत होगी प्रशासनिक अधिकारियों को भेजा जाएगा।
गौरा चौराहा संवादसूत्र के अनुसार क्षेत्र में बाढ़ के पानी का दबाव अब कम हो गया है, लेकिन लोगों की दुश्वारियां अभी बरकरार हैं। पीड़ितों ने अभी ऊंचे स्थानों पर शरण ले रखा है। जहां से पानी निकल गया है, वहां से अब दुर्गध उठ रही है। घर में रखा अनाज व भूसा बाढ़ के पानी में भीग गया है। क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित गांवों में कच्चे मकान धरासाई हो रहे हैं। राप्ती नदी कोड़र, रोवारी के पास कटान कर रही है। यहां लोग रात जागकर बिता रहे हैं। भगोसर, कोइलखार, मिश्रौलिया, घोपलापुर, गौरा बगनहा, गुलरिहा, चाईडीह, पकड़ी नौबस्ता, चौखड़ा, भुसैलवा, सिंघवापुर, भरभरिया, धर्मपुर, कतवरिया सहित अन्य कई गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। प्रशासन व समाजसेवी संस्थाएं राहत बांटने के लिए सड़क का किनारा छोड़कर बाढ़ भरे गांवों में नहीं जा पा रही हैं। सेवरहा, दतरंगवा, खजुरिहा, नाथूडीह, फत्तेपुर, हैदरगढ़, थरूवा थरूनिया आदि गांवों में त्राहि-त्राहि मचा हुआ है, लेकिन पीडि़तों की जिम्मेदारों तक नहीं पहुंच पा रही है। राप्ती-बूढ़ी राप्ती के बीच में बसे गांवों की हालत काफी दयनीय है। जगदीश, बालकराम, केवलराम, बाबूराम, बुद्धू, गंगोत्री, चिनकू, फकीरी, शिव प्रसाद, गोमती, सीताराम, रामफेरन, राकेश, ननकन, मिलन, अमरिका, चेतराम सहित अन्य कई लोगों के कच्चे मकान गिर गए हैं। लोग स्कूल व दूसरों के घरों में शरण लेने को विवश हैं। प्रशासन ने अभी तक किसी तरह की कोई राहत बाढ़ पीड़ितों तक नहीं पहुंचाई है। उमाशंकर, सुभद्रा, केशव, भगत, शंकर आदि का कहना है कि हम लोगों का सबकुछ बाढ़ की भेंट चढ़ गया है। अब रहने के लिए एक छप्पर भी नहीं बचा है। इसी तरह कई अन्य गांवों में लोग बाढ़ की विभीषिका से कराह रहे हैं।