कागजों में ही 'राहत' तो कैसे मिले पीड़ितों को छांव
बलरामपुर : नेपाल से आए सैलाब से जिले में जल तांडव का नजारा चहुंओर दिख रहा है। पौने दो लाख से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित हैं। उन्हें दो वक्त की रोटी के साथ स्वच्छ पानी के लिए भी तरसना पड़ रहा है। राहत व बचाव न मिलने से वे कहीं पेड़ की छांव तो कहीं प्लास्टिक की पन्नी ताने जीवनयापन को मजबूर हैं। बाढ़ की जद में आए गांवों से थोड़ी भी उम्मीद दिखी तो वे जान हथेली पर रखकर अपना सबकुछ छोड़कर बाहर आ रहे हैं, लेकिन यहां भी उन्हें निराशा ही हाथ लग रही है। जिला प्रशासन का दावा है कि बाढ़ पीड़ितों के लिए एक दर्जन राहत शिविर बनाए गए हैं। जहां लोगों को राहत देने के हर प्रबंध किए गए हैं। जागरण ने कुछ राहत शिविरों का जायजा लिया तो हालात हवा-हवाई दिखे और शिविर कागजों पर ही चलते दिखे। प्रस्तुत है हकीकत बयां करती रिपोर्ट।
केस एक- थाना कोतवाली देहात। समय अपराह्न 12.30 बजे। यहां बस नाम का शिविर है। न कोई अधिकारी न कर्मचारी और न ही कोई टेंट आदि ही लगा है जिससे यह लगे कि यहां बाढ़ राहत शिविर है।
केस दो-नगर के बुद्धा पार्क के समीप का बाग। यहां मवेशियों के साथ कुछ दो महिलाएं व बच्चे शरण लिए दिखे। पूछने पर उन्होंने खुद को गनवरिया गांव का निवासी बताया। इनमें से फूला, रामा आदि का कहना है कि वे सोमवार शाम से ही यहां पशुओं के साथ हैं, लेकिन कोई मद्द के लिए नहीं आया।
केस तीन- नगर के दूरभाष कार्यालय के समीप बनी दुकानों के बरामदे में कई लोग शरण लिए दिखे। यह सभी ज्योनार व बेलवा सुल्तानजोत गांव के हैं। बच्छराज, सालिक राम आदि ने बताया कि सोमवार शाम से हम लोग यहां हैं। कहीं कोई शिविर नहीं है। सूचना मिली कि तहसील में लंच पैकेट मिल रहा है। वहां गए भी तो भगा दिया गया। अब अपनी व्यवस्था से रह रहे हैं।
केस चार- ज्योनार गांव से आने वाली सड़क। दो दिन पूर्व इस सड़क का नामोनिशान नहीं था। सड़क से पानी हटा तो पशुओं के साथ ही ग्रामीण पलायन करते दिखे। पूछने पर रामू व गुडडू आदि ने बताया कि जान बचाने के लिए चल पड़े हैं जहां सहारा मिलेगा वहीं रुकेंगे।
केस पांच-नगर के तुलसीपार्क में प्रशासन के रिकार्ड में एक स्वयंसेवी संस्था का शिविर है, लेकिन यहां भी कोई नहीं दिखा। मुख्य सड़क पर आने पर बाढ़ प्रभावित कालीथान व मिर्जापुर गांव से बड़ी संख्या में ग्रामीण पलायन कर आते दिखे। राजू, प्रह्लाद, भूपति, छोटेलाल व इंद्रजीत समेत अन्य का कहना था कि सैकड़ों लोग बाढ़ में फंसे हैं। घर एक-एककर गिर रहे हैं, लेकिन बाढ़ के चार दिन बाद भी कोई मद्द करने वाला नहीं पहुंचा है।
केस छह - नगर के नील बाग मोहल्ले के निवासी अयोध्या प्रसाद का घर पानी में डूब गया है। वे कुछ दूर पुराना आरटीओ कार्यालय के समीप प्लास्टिक डालकर किसी तरह दिन काट रहे हैं। उन्हें भी कोई इमदाद अभी तक नहीं मिली है।
बाढ़ पीड़ितों के लिए 12 शिविर बनाए गए हैं। अब तक 910 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। शिविर के लिए जिन्हें जिम्मेदारी दी गई है उनकी मानीटरिंग की जा रही है। गड़बड़ी मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।
-केशव दाव
एडीएम/ प्रभारी बाढ़ राहत