सुरेमनपुर-गोपालनगर मार्ग पर तीन फीट ऊपर बह रही घाघरा
बैरिया (बलिया) : घाघरा नदी में आए अप्रत्याशित उफान से सुरेमनपुर दियरांचल के आधा दर्जन गांव बाढ़ से घिर गए हैं। बाढ़ से करीब 50 हजार की आबादी का संपर्क मुख्य भूभाग से कट गया है। सुरेमनपुर दियरांचल में बाढ़ से स्थिति निरंतर भयावह होती जा रही है। सुरेमनपुर-गोपाल नगर मार्ग पर घाघरा का पानी करीब तीन फीट ऊपर बह रहा है जिससे इस मार्ग पर वाहनों का आवागमन बंद हो गया है। स्थिति गंभीर होने के बाद भी लोग जान जोखिम में डालकर इसी सड़क से पैदल आ-जा रहे हैं। घाघरा के बढ़ते दबाव से एक बार फिर बालक बाबा सेतु का एप्रोच मार्ग कटने लगा है। लोक निर्माण विभाग लोहे की चादर व बालू भरी बोरियां डाल कर इस एप्रोच मार्ग को बचाने की कवायद में जुटा हुआ है। पुल से उत्तर भी कई जगह एप्रोच मार्ग कट गया है। बालक बाबा पुल के उत्तर सड़क की स्थिति और दयनीय हो गई है। यहां सड़क महज दो फीट कटने से बची है। क्षेत्र के वशिष्ठ नगर, गोपालनगर, मानगढ़, शिवाल मठिया सहित कुल आधा दर्जन गांवों में घरों में पानी घुस गया है। ऐसे में लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। वहीं मवेशियों के लिए चारे का संकट भी पैदा हो गया है। बाढ़ से समूचे दियरांचल की खरीफ की फसल पूरी तरह से नष्ट हो गई है जिससे किसानों को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है। बाढ़ से घिरे गांवों की बिजली काट दी गई है। उप जिलाधिकारी बैरिया शीतला प्रसाद यादव ने बाढ़ क्षेत्र के भ्रमण के बाद शुक्रवार को पत्रकारों को बताया कि स्थिति पर प्रशासन की पैनी नजर है। सभी जरूरी उपाय किए जा रहे हैं। किसी भी परिस्थिति का सामना करने के लिए तहसील प्रशासन मुस्तैद है।
रेवती प्रतिनिधि के अनुसार घाघरा की बाढ़ से घिरे सेमरा, नवकागांव, मांझा, देवपुर मठिया, धूपनाथ के डेरा, बैजनाथ के टोला के 500 प्रभावित परिवारों का एक-एक पल काटना मुश्किल हो गया है। घरों में बाढ़ का पानी घुसने से स्थिति भयावह हो गई है।
सिकंदरपुर प्रतिनिधि के अनुसार घाघरा के जलस्तर में लगातार वृद्धि के कारण तटवर्ती गांवों में स्थिति गंभीर होती जा रही है। बाढ़ में डूब कर विभिन्न गांवों के सैकड़ों किसानों की एक हजार से अधिक क्षेत्रफल में खड़ी मक्का, ज्वार, बाजरा और धान की फसलें जहां नष्ट हो गई हैं वहीं तीन दर्जन से अधिक ग्रामीणों के कच्चे व पक्के मकान तथा आवासीय झोपड़ियां बाढ़ में घिर गई हैं जिससे प्रभावित परिवार की कठिनाई झेलने को विवश हैं। आश्चर्य तो यह है कि विषम स्थिति से अवगत होते हुए भी प्रशासन की तरफ से पानी से घिरे परिवारों के आवागमन हेतु अब तक न तो नाव की व्यवस्था की गई न ही कोई अन्य राहत प्रदान की गई है। बसरिकापुर के अयूब नजमुल, रतन, शंभू, अजमुल सैयद, मकबूल, अरशद, रज्जब अली, गोसाईपुर गांव के राजा, रामायण, स्वामीनाथ, बैजनाथ, जब्बार अंसारी, नंद किशोर, जैनुल, सुभाष, मोती चंद्र, रामदेव, धर्मराज, मनराज, रामेश्वर बांका, बच्चन सीतराम आदि के मकान चारों तरफ से पानी से घिरे हुए हैं।
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