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सामूहिक उत्तरदायित्व से सुधरेंगे तालाब

सुखपुरा (बलिया) : सबको सहजता व सुगमता से जल मिले और हमारी आने वाली पीढि़यों को भी जल संकट का सामना न

By JagranEdited By: Published: Sat, 29 Apr 2017 06:09 PM (IST)Updated: Sat, 29 Apr 2017 06:09 PM (IST)
सामूहिक उत्तरदायित्व से सुधरेंगे तालाब
सामूहिक उत्तरदायित्व से सुधरेंगे तालाब

सुखपुरा (बलिया) : सबको सहजता व सुगमता से जल मिले और हमारी आने वाली पीढि़यों को भी जल संकट का सामना नहीं करना पड़े इसके लिए जल संरक्षण की दिशा में सार्थक पहल करने की जरूरत है। जल संरक्षण के लिए पोखरे, तालाबों व कुओं का इस्तेमाल पहले से किया जाता रहा है और आज भी यह सर्वाधिक उपयुक्त साधन है। आज शासकीय व आम लोगों की उदासीनता से क्षेत्र के कई तालाब व पोखरे अपनी अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे है। इसमें ही एक है कस्बे के विसेन डेरा पर स्थित तालाब जिसकी बदहाली देख कर आम आदमी की पीड़ा उसके

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होंठों तक आ जाती है। लगभग डेढ़ एकड़ में फैला यह तालाब आज पूरी तरह जलकुंभी से पट गया है। चारों तरफ के मेढ़ भी प्राय: नष्ट हो गए हैं। मेढ़ों पर झाड़-झंखाड़ ने कब्जा जमा लिया है। वर्ष 2012-13 में तत्कालीन प्रधान

उतिम चंद के कार्यकाल में इस तालाब की खोदाई, साफ-सफाई व मेढ़बंदी का कार्य जरूर कराया गया लेकिन गांव के लोग उसे बरकरार नहीं रख सके। चारों तरफ झाड़-झंखाड़ होने के कारण पूरा क्षेत्र जहरीले जीव जंतुओं का बसेरा बन गया है। ऐसे में भौतिकवादी युग में लगता है कि जिस तरह कुओं व ताल-तालाबों को पाटने का सिलसिला चल पड़ा है ये इतिहास का हिस्सा बन कर ही रह जाएंगे और भावी पीढ़ी को केवल किस्से कहानियों में ही कुंओं के महत्व की जानकारी हो पाएगी। यही हाल अब तालाबों की भी हो रही है। पहले जिस तरह लोग सामूहिक प्रयास से कुंओं की नियमित साफ-सफाई करते थे ठीक उसी तरह तालाबों की भी सफाई होती थी। पहले लोगों के स्नान करने का भी मुख्य साधन तालाब ही थे लेकिन जैसे-जैसे सुविधाएं बढ़ी लोग तालाबों से विमुख होते चले गए। आज हालात है कि तालाबों की साफ-सफाई तो दूर अब अतिक्रमण की चपेट में आने लगे है। प्रधान प्रतिनिधि आनंद ¨सह ¨पटू ने कहा कि पंचायत द्वारा तालाब की साफ-सफाई अवश्य कराई जाएगी लेकिन लोगों को भी अपने सोच में बदलाव लाने की जरूरत है।

जल ही जीवन की परिकल्पना करना होगा साकार

इस संदर्भ में जब कुछ लोगों से की बात की तो सभी ने इस गंभीर मुद्दे पर अपनी संवेदना दिखाई और अपनी प्रतिक्रिया दी। पूर्व प्रधानाचार्य विजय शंकर ¨सह ने कहा कि जल ही जीवन है की परिकल्पना साकार करने के लिए लोगों को स्वयं जागरूक रहना होगा। केवल शासन की ओर से ही देखने से काम नहीं चलने वाला।

मुन्ना ¨सह ने कहा कि शासन के जल संरक्षण अभियान में सहभाग कर हम पूरे राष्ट्र को जल संकट मुक्त रख पाएंगे। शीतल ¨सह ने कहा कि मात्र सरकारी प्रयास से ही जल संरक्षण को बढ़ावा नहीं मिलेगा इसके लिए सभी को सामूहिक प्रयास करना होगा। अबरार अहमद ने कहा कि पानी राष्ट्रीय संपदा मान उसके एक-एक बूंद के संरक्षण हेतु हमें तत्पर होना होगा। हभी हमारी भावी पीढ़ी को जल संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा।


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