बैंकों में उमड़ी भीड़ तो घुटने लगा दम
बलिया : अवकाश के बाद मंगलवार को बैंकों के ताले खुले तो चहुंओर मारामारी जैसी स्थिति रही। बैंकों में
बलिया : अवकाश के बाद मंगलवार को बैंकों के ताले खुले तो चहुंओर मारामारी जैसी स्थिति रही। बैंकों में अवकाश हो जाने से स्थिति और भी नारकीय हो गई। छुट्टी के बाद बैंक खुले जरूर पर उनके खजाने खाली ही रहे। ऐसे में गांव से लेकर शहर तक के एटीएम पर भी ताले लटके रहे। लोग पूरे दिन रुपये के लिए इधर से उधर भागते रहे पर उनको राहत नहीं मिली। बैंकों में सुबह से ही अप्रत्याशित भीड़ होने की वजह से अंदर लोगों का दम घुंट रहा था। नगर के आधे से अधिक बैंकों में नकदी की समस्या पूर्ववत की तरह ही रही। ऐसे में लोगों को कहीं दो तो कहीं चार हजार रुपये देकर चलता कर दिया गया। इसको लेकर लोगों में काफी आक्रोश की स्थिति रही। बैंकों में जबर्दस्त भीड़ के बीच लोग सरकार की व्यवस्था को लेकर अपनी भड़ास निकालते रहे। एसबीआइ में तो और भी दयनीय स्थिति रही। नगर में भी आधे से अधिक एटीएम बंद रहे जिससे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इसमें जो दो-चार खुले थे वहां लोगों की किमी में लाइन लगी रही। एक एटीएम पर पुरुषों की ही तीन-तीन कतारें लगी रही। गांवों में तो स्थिति और भी विकट रही। देहात क्षेत्रों के कमोबेस सभी जगहों के एटीएम पर ताले लटके रहे जिससे लोग चाह कर भी रुपये नहीं पा सके। इसकी वजह से लोगों के कई जरूरी काम भी प्रभावित हो गए। तेज लगन के बाद नोटबंदी व इसमें बैंकों की ऐसी स्थिति के बीच लोग समझ ही नहीं पा रहे कि क्या करें। नगर में सुबह ही एटीएम पर सैकड़ों लोगों की लंबी लाइन लग गई। इसमें जहां रुपये थे वहां तो कुछ देर तक लोग डटे रहे पर यहां खत्म होते ही अन्य जगहों पर भाग गए। ऐसे में लोग पूरे दिन एक से दूसरे एटीएम पर भागते ही रह गए लेकिन रुपयों के दर्शन नहीं हुए। इसमें कई लोग तो ऐसे भी थे जिनके यहां एकाध दिन में शादी आदि आयोजन हैं। ऐसे में इस तरह के जरूरतमंद लोग व्यवस्था को लेकर कोसते ही नजर आए। लोगों ने सरकार के साथ ही व्यवस्था पर भी जमकर भड़ास निकाले। लोग एक ही बात करते रहे कि नोटबंदी में छोटे लोग ही मारे जा रहे हैं क्योंकि बड़े तो अपना काम जुगाड़ के सहारे किसी तरह से कर ही ले रहे हैं। नगर में कुछ एटीएम देर शाम तक चले जहां लोगों की लंबी लाइन लगी रही।
अभी तक नहीं मिला वेतन व पेंशनदिसंबर महीने में एक सप्ताह बीत गए पर वेतनभोगियों को न तो वेतन मिला और न ही पेंशनरों को पेंशन। इसको लेकर वेतनभोगी हो या पेंशनर सभी में उबाल है। वेतनभोगी से लेकर पेंशनर तक का महीने का खर्च वेतन व पेंशन पर ही निर्भर है लेकिन सही समय पर इसके नहीं मिलने से उनकी स्थिति और भी खराब हो गई है। घर का खर्च कैसे चले इसको लेकर ये भी पशोपेश की स्थिति में पड़े हैं। शिक्षकों व कर्मी तो इसको लेकर आंदोलन की चेतावनी तक भी दी है। ऐसे में बैंकों में नकदी की स्थिति जल्द नहीं सुधरी तो हालात और विकट होंगे।
बाजार-व्यापार अभी तक है प्रभावित
नोटबंदी को हुए लगभग एक माह बीतने को आए पर बाजार-व्यापार में अभी भी पूरी तरह रौनक नहीं आ सकी है। नगर में नोटबंदी का सबसे अधिक असर सब्ज उत्पादकों पर पड़ा है। तेज लगन के बाद भी सब्जियों के भाव में जबर्दस्त गिरावट जारी है। नोटबंदी की वजह से सब्जी उत्पादकों से लेकर छोटे दुकानदार तक के यहां मंदी का दौर छा गया है। इसके अलावा लगन के बाद भी कपड़े से लेकर सराफा कारोबार तक में सन्नाटा पसरा है। इसकी वजह से छोटे दुकानदार से लेकर बड़े कारोबारी तक काफी परेशान हैं। लोग समझ ही नहीं पा रहे कि क्या करें। इसकी वजह से सभी तरह के कारोबार इस समय बस किसी तरह से चल भर रहे हैं।
रुपये के लिए सिफ्ट में लाइन लगा रहे लोग
बिल्थरारोड : नोटबंदी के बाद पुराने नोटों के बैंकों में जमा करने के बाद अब लोगों को रुपये निकालने के लिए विभिन्न तरह की समस्याओं से दो-चार होना पड़ रहा है। मंगलवार की सुबह नगर के स्टेट व सेंट्रल बैंक में रुपये के लिए लोगों की भीड़ ने पुराने कई दिनों के रिकार्ड ध्वस्त कर दिए। एक ही परिसर में दोनों बैंक होने से भीड़ का नजारा दूर से भी देख लोगों की सांसे टंग जा रही थी। नगर के लगभग आधा दर्जन एटीएम वर्तमान विषम दगा दे गए हैं। महज एचडीएफसी बैंक के एटीएम ही रुपये मिल रहे थे जिस पर सैकड़ों लोगों की लाइन लगी रही। दूसरे बैंक पर लोगों की मांग के अनुरूप पर्याप्त भुगतान नहीं होने के कारण परिवार के कई-कई लोगों को आधी रात के बाद से ही बैंकों के सामने लाइन लगाना पड़ रहा है। परिवार का एक सदस्य चार बजे सुबह ही लाइन में लग जा रहा और सात बजे तक परिवार के दूसरे सदस्य के आने के बाद ही अपनी जगह से हट रहा है। यही हाल एचडीएफसी के एटीएम पर भी हो रही है। जिन लोगों को दो हजार से अधिक रुपये निकालने हैं वो लाइन में परिवार के दो-तीन सदस्यों को खड़ा कर रहे हैं। ऐसे में रुपये के लिए स्थिति पूरी तरह नारकीय हो गई है।