बाहर बाढ़ तो अंदर तरसोत के पानी से सब स्वाहा
जयप्रकाशनगर (बलिया) : बीएसटी बांध के बाहर बाढ़ के पानी से सभी फसल बर्बाद हो गए, वहीं बीएसटी बांध के
जयप्रकाशनगर (बलिया) : बीएसटी बांध के बाहर बाढ़ के पानी से सभी फसल बर्बाद हो गए, वहीं बीएसटी बांध के अंदर बाढ़ रहित क्षेत्र में भी फसलों का कम नुकसान नहीं हुआ। एक आकड़े के मुताबिक बीएसटी बांध के बाहर क्षेत्र के किसानों के लगभग 400 एकड़ में बोआई किए गए मक्?के, बाजरा, अरहर आदि के खेत डूबने से बर्बाद हो गए,
वहीं इससे भी अधिक बीएसटी बांध के अंदर बाढ़ रहित क्षेत्र में भी फसलों का भारी नुकसान हुआ। इस बाढ़ ने किसानों को कहीं का नहीं छोड़ा है।
इस क्षेत्र के किसान गणेश प्रसाद, बच्?चालाल ¨सह, चंद्रदेव यादव, मुटूर ¨बद, नरेश पंसाद, रूद्रनारायण ¨सह, राजू यादव, महंथ यादव, आदि ने बताया कि एक तो महंगी खेती, और उसमें यह आपदा किसानों को गरीब बनाने में कोई कसर बाकी नहीं रहने देती। बीएसटी बांध के बाहर जो बाढ़ क्षेत्र है, वहां की फसल तो इस सीजन में राम भरोसे ही होती है, ¨कतु अंदर यह हालात नहीं होते थे। बीएसटी बांध से लगभग 800 मीटर की चौड़ाई में कुल 22 किमी बंधे के परिसर में लगभग पांच सौ एकड़ की खेती पूरी तरह चौपट हो गई है।
केला की खेती पर भी संकट के बादल
क्षेत्र में बांध के अंदर शंकर नगर प्?लाट और टोला बाजराय आदि को मिलाकर लगभग 400 एकड़ में केले की खेती किसान किए हैं । केला की खेती वाले किसान सत्?येंद्र ¨सह, गुड्डू ¨सह, मनोज ¨सह, आदि ने बताया कि उनके खेतों में भी तरसोत का पानी अब काफी नुकसान पहुंचाने लगा है। यह पानी यदि जल्?द खेतों से नहीं निकलता तो, करोड़ो की क्षति केला किसानों को भी भुगतनी होगी।
पशुओं ने पहुंचाया फसलों को ज्यादा नुकसान
जयप्रकाशनगर क्षेत्र में बाढ़ के बाद किसानों की कमर अपनों ने भी तोड़ने में कोई कसर बाकी नहीं रखा । बाढ़ से जब सभी गांव डूब गए थे, तभी सभी लोगों ने अपने पालतू पशु घोड़ा, घोड़ी, गाय, भैंस आदि को पूरी तरह खुला छोड़ दिया है। दो सौ से भी ज्?यादा पशु जब किसी किसान के खेत में प्रवेश करते हैं, तो घंटे भर में ही उनकी मेहनत की कमाई स्वाहा हो जा रही है। इस पर न तो किसी का नियंत्रण है, न कोई रोक-टोक।