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आषाढ़ मास का भारतीय संस्कृति में है विशेष महत्व

-30 से शुरू हो रहा प्रमुख व्रत व पर्व रतसर (बलिया) : भारतीय संस्कृति में हर मास में तीज त

By Edited By: Published: Sun, 26 Jun 2016 11:50 PM (IST)Updated: Sun, 26 Jun 2016 11:50 PM (IST)

-30 से शुरू हो रहा प्रमुख व्रत व पर्व

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रतसर (बलिया) : भारतीय संस्कृति में हर मास में तीज त्योहारों की अलग ही महत्ता है जिसके प्रति आज भी यहां के लोग काफी संवेदनशील है। आषाढ़ मास का भी हमारे यहां काफी महत्व है। इस वर्ष 21 जून से शुरू यह मास 19 जुलाई तक रहेगा। आचार्य भरत पाण्डेय ने बताया कि 30 जून को योगिनी एकादशी का व्रत किया जाएगा। शनि प्रदोष व्रत दो जुलाई को तथा मास शिवरात्रि का व्रत भी दो जुलाई को होगा। स्नान दान सहित अमावस्या तथा सोमवती अमावस्या का पर्व चार जुलाई को पड़ रहा है। इस दिन पीपल वृक्ष में भगवान विष्णु को प्रतिष्ठित मानकर सौभाग्य की कामना से स्त्रियां विधिवत पूजन करती हैं।

रथ यात्रा

रथ यात्रा छह जुलाई को सर्वत्र विशेषकर पूरी में परंपरागत शैली में मनाया जाएगा। रथ पर विराजित श्रीकृष्ण-बलराम व सुभद्रा का दर्शन पूजन कर पुण्यफल प्राप्त किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि रथ को खींचने म ं सहयोग करने से भविष्य में होने वाली कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है।

श्री हरिशयनी एकादशी

आचार्य पाण्डेय ने बताया कि 15 जुलाई को श्री हरिशयनी एकादशी का व्रत किया जाएगा। श्री हरि विष्णु का विधिवत पूजन कर उनको विश्राम दिया जाएगा। भगवान विष्णु शयन में चले जाते हैं। इसलिए विवाहादि मंगल कार्य बंद हो जाएंगे तथा इसके साथ चातुर्मास प्रारंभ हो जाएगा। प्रदोष का व्रत 17 जुलाई को किया जाएगा।

गुरु पूर्णिमा

स्नान दान सहित आषाढ़ी पूर्णिमा गुरु पूर्णिमा का पवित्र पर्व 19 जुलाई मंगलवार को मनाया जाएगा। कोकिला रूपी शिव का पूजन किया जाएगा। अपने-अपने गुरु को श्रद्धा समर्पित करने का यह पवित्र पर्व गुरु परंपरा को साक्षात ब्रह्मा के रूप में प्रतिष्ठित करता है। श्रद्धालु अपने कुल गुरु, मंत्र गुरु, पंथ गुरु व शिक्षा गुरु के प्रति श्रद्धा निवेदन करने के लिए उनके पास पहुंचते हैं।


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