लड़ते रहेंगे हरियाली बचाने की जंग
बिल्थरारोड (बलिया): पेड़-पौधों के प्रति लगाव, उनके संरक्षण को लेकर तन्मयता व लगातार पौधरोपण की मुहिम
बिल्थरारोड (बलिया): पेड़-पौधों के प्रति लगाव, उनके संरक्षण को लेकर तन्मयता व लगातार पौधरोपण की मुहिम ने कब इन्हें हरियाली रक्षक बना दिया, वे स्वयं भी नहीं जानते किंतु आज भी वे पूरे क्षेत्र में हरियाली रक्षक के रूप में चर्चित हैं और युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं। सादगी व शालीनता के प्रतीक सीयर ब्लाक के अखोप गांव निवासी जनार्दन यादव यूं तो इस गांव के प्रधान भी हैं किंतु प्रधान बनने के काफी समय पहल से हरियाली संरक्षण को वे अलख जगाते रहे। वर्ष 2006 में उन्होंने ब्लाक प्रशासन की मदद से गांव के जूनियर हाईस्कूल के समीप करीब आठ हजार पौधे लगवाए और आज भी स्वयं उसका संरक्षण करते हैं। मध्यम परिवार में जन्मे जनार्दन ने अपने घर को भी चारों तरफ से हराभरा कर हरियाली के प्रति लोगों को प्रेरित करने का संदेश दिया है। सीयर ब्लाक के अखोप गांव स्थित जूनियर हाईस्कूल के समीप उनकी पहल पर लगभग चार एकड़ भूमि में ब्लाक प्रशासन की मदद से मनरेगा के तहत ठोस कार्ययोजना को मूर्त रूप दिया गया और 3 लाख 37 हजार की लागत से यहां आठ हजार छायादार व फलदार पौधे लगाए गए। इस बार अखोप गांव के प्रधान होने के बावजूद अपने व्यस्त समय में से अहले सुबह चार बजे से लगातार पांच घंटे व शाम में तीन घंटे देकर इस बगीचे को दुरुस्त रखने में स्वयं लगे रहते हैं। इसके फलों को वे अक्सर गरीबों में ही बांट देते हैं। इस बगिया को हरा भरा रखने हेतु पूरी योजना के तहत यहां अंदर खड़जा व हैंडपंप भी लगाया गया है। साथ ही कंटीले तारों से पूरे बगीचे की बाउंड्री भी कराई गई है। जर्नादन यादव के अनुसार हरियाली के प्रति उनकी यह जंग लगातार जारी रहेगी तब तक कि यह संदेश हर युवा की जुबां पर न पहुंच जाए। वह कहते हैं 'जब कभी धूप की शिद्दत ने सताया मुझको, याद आया बहुत एक पेड़ का साया मुझको..।'