मध्याह्न भोजन के बहिष्कार का एलान
बलिया : विगत पांच माह से अपनी जेब से मिड-डे-मील का संचालन कर रहे नगर क्षेत्र के अध्यापकों ने इस योजन
बलिया : विगत पांच माह से अपनी जेब से मिड-डे-मील का संचालन कर रहे नगर क्षेत्र के अध्यापकों ने इस योजना को आगे चलाने से हाथ खड़ा करने का मन बना लिया है। आश्वासन की घुट्टी पीते-पीते उनका मन अब भर गया है। नगर क्षेत्र में यह योजना पहले एक एनजीओ द्वारा संचालित की जाती थी जिसमें मीनू के अनुसार पका पकाया गरमा-गरम भोजन ठेले पर लादकर समय से विद्यालयों पर पहुंचा दिया जाता था। अध्यापक उसे चखने के बाद बच्चों को खिला देते थे। पर इस वर्ष जून में ही नगर क्षेत्र के अध्यापकों को यह निर्देश दिया गया कि ग्रामीण क्षेत्र की तरह नगर क्षेत्र में भी अब विद्यालयों पर ही मिड-डे-मील पकाया जाएगा। यह भी कहा गया कि अध्यापक रसोइयों की नियुक्ति तत्काल कर लें और पहली जुलाई से ही अपने-अपने विद्यालय पर खाना बनवाना शुरू कर दें। आदेश के अनुपालन में अध्यापकों ने यह काम शुरू भी कर दिया। 10 जुलाई तक तो उन्होंने सब कुछ अपनी जेब से मंगाया। 11 जुलाई को उन्हें राशन के नाम पर गेंहू और चावल दे दिया गया और योजना का संचालन जारी रखने को कहा गया जो बदस्तूर जारी है। उन्हें हर माह सिर्फ गेंहू और चावल दे दिया जाता है, बाकी का तेल, मसाला, लकड़ी, दाल, सब्जी, नमक सहित रसोई बनाने में लगने वाले सारे सामान अध्यापकों को खुद अपनी जेब से मंगाने पड़ रहे हैं। नगर क्षेत्र के परिषदीय विद्यालयों में वैसे भी अध्यापकों की संख्या मानक से काफी कम है। किसी विद्यालय पर एक तो किसी पर दो। विद्यालय पहुंचते ही सबसे पहले उन्हें यह देखना पड़ता है कि कौन सा सामान है और क्या मंगाना है। कन्वर्जन मनी की मांग पर जुलाई से आज तक उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिला है। वहीं रसोइया जो बिना कुछ पाए लगातार खाना पकाती चली आ रही हैं अब अपने पारिश्रमिक की मांग अध्यापकों से करने लगी हैं। ऐसे में आश्वासनों से आजिज अध्यापक इस योजना के संचालन से अपने हाथ खड़ा करने का मन बनाने लगे हैं।