छठ पर्व पर भी नहीं दिखे सफाईकर्मी
बलिया : प्रदेश सरकार ने जिस सोच के साथ नगरों की भांति गांवों में सफाईकर्मियों की तैनाती की वह सोच पू
बलिया : प्रदेश सरकार ने जिस सोच के साथ नगरों की भांति गांवों में सफाईकर्मियों की तैनाती की वह सोच पूरी तरह बिखर गई। छठ पूजा जैसे पावन पर्व पर भी गांवों में सफाईकर्मी नहीं दिखे और लोगों को स्वयं या मजदूर लगाकर पूजा घाटों की सफाई करनी व करानी पड़ी।
नदी या पोखरों के किनारे होने वाले डाला छठ पूजा के लिए घाटों व रास्तों की विशेष सफाई की जाती है। वैसे तो सफाई कर्मी गांवों की नियमित सफाई से पहले ही दूर हो चुके हैं पर त्योहार आदि में वे यदा कदा दिख जाया करते थे पर इस बार छठ पर भी वे पूरी तरह गायब दिखे। जनपद के 833 ग्राम पंचायतों में शायद ही एकाध गांव हो जहां सफाईकर्मियों ने पूजा जैसे पावन पर्व पर साफ-सफाई किया हो। आलम यह है कि डाला छठ पूजा में गांव के रास्तों व घाटों की विशेष साफ-सफाई स्वयं या मजदूरों के माध्यम से कराई। लोगों की तो छोड़ दें कई गांवों के प्रधानों ने स्वयं मजदूरों के माध्यम से घाटों की सफाई करा अपने कर्त्तव्यों का निर्वहन किए। सफाई कर्मियों का सफाई कार्य से विमुख होना सरकार व पंचायती राज विभाग की असफलता की कहानी कहने को पर्याप्त है। जिले में तैनात हजारों सफाई कर्मियों की मनमानी कार्य संस्कृति शासन के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।
सभी को थे निर्देश, होगी कार्रवाई
इस बाबत जिला पंचायत राज अधिकारी घनश्याम सागर ने बताया कि सभी सफाई कर्मियों को छठ घाटों की सफाई के निर्देश दिए गए थे। यदि कार्य में शिथिलता की रिपोर्ट प्रधान सचिव की आई तो संबंधित के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।