मूर्ति विसर्जन : प्रधानों के समक्ष विकट समस्या
दोकटी (बलिया): नदियों में मूर्ति विसर्जन नहीं करने के निर्णय के कारण संबंधित प्रधानों के समक्ष विकट
दोकटी (बलिया): नदियों में मूर्ति विसर्जन नहीं करने के निर्णय के कारण संबंधित प्रधानों के समक्ष विकट समस्या पैदा हो गई है। पूजा समितियों, मूर्ति निर्माताओं के सामने भी अनेक समस्याएं आ गई हैं। इसके चलते ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है।
बता दें कि नदियों को प्रदूषण से बचाने के लिए एक तरफ जहां उच्च न्यायालय व केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा नदियों में मूर्तियों के विसर्जन पर प्रतिबंध लगा वैकल्पिक व्यवस्था के तहत विसर्जन स्थान पर ही नदी के बगल में गड्ढा बनाकर विसर्जन का निर्देश जारी किया गया है। इसके तहत संबंधित प्रधानों की उपस्थिति में लेखपालों द्वारा निरीक्षण कर निर्धारित स्थान पर गड्ढा खोदने के लिए चिह्नित करना है व प्रधान द्वारा उस गढ्डे को खोदवाना है किंतु इसके लिए कोई अलग से बजट का प्रावधान नहीं है। विसर्जन के लिए गड्ढा बनाना मजदूरों के वश की बात नहीं। जेसीबी संचालक इसके लिए तैयार नहीं है क्योंकि कई जेसीबी का खनन का आरोप लगाते हुए चालान किया जा चुका है। इसका भय जेसीबी संचालकों को सता रहा है। दूसरी तरफ पूजा कमेटियों व मूर्ति निर्माताओं में भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। उनका कहना है कि अगर वे शपथ पत्र देते हैं तथा निर्देश के अनुसार जरा भी त्रुटि आती है तो कानूनी पचड़े में पड़ना होगा। इसके भय से ज्यादातर पूजा कमेटियां प्रतिमाओं को स्थापित करने से डरने लगी हैं। इसके कारण प्रतिमाएं कम ही स्थानों पर स्थापित की जा रही हैं।