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आजाद हो गए, नहीं बदली विदेशी सोच

By Edited By: Published: Sun, 21 Sep 2014 06:26 PM (IST)Updated: Sun, 21 Sep 2014 06:26 PM (IST)
आजाद हो गए, नहीं बदली विदेशी सोच

सिकंदरपुर (बलिया): हम आजाद भले ही हो गये हैं लेकिन सत्ता का स्वभाव नहीं बदला है। वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता जमुनालाल बजाज पुरस्कार से सम्मानित रमेश भाई ने जूहा स्कूल के प्रांगण में आयोजित ग्राम स्वराज विषयक गोष्ठी को संबोधित करते हुए उक्त विचार व्यक्त किए। वह शाहजहांपुर से पटना तक निकली ग्राम स्वराज संदेश यात्रा के तहत यहां आए थे। कहा कि विदेशी शासक भले ही देश से चले गए किंतु देशी शासक आज भी उन्हीं के स्वभाव में देश चला रहे हैं जो शर्म की बात है। देशी शासकों को अपने स्वभाव और कार्य में बदलाव लाने का सुझाव दिया। कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के 67 वर्षो बाद भी यदि हम घुटन महसूस कर रहे हैं तो उसका मुख्य कारण हमारे विदेशी स्वभाव में बदलाव का नहीं आना है। यही कारण है कि हम नित नई -नई समस्याओं से दो-चार हो रहे हैं। आरोप लगाया कि सरकार अपनी नीतियों के माध्यम से समाज को स्वावलंबी बनाने की बजाय परावलंबी बनाती जा रही है। कहा कि हमें गांधी व विनोवा के विचारों को आत्मसात कर ग्राम स्वराज के दर्शन को समझना और उसे लागू करना होगा तभी हमें वास्तविक आजादी मिलने के साथ ही हम स्वावलंबी हो सकेंगे। राजमंगल सिंह, सांत पांडेय एडवोकेट, सभापति पाठक, सत्येंद्र कुमार आदि ने भी विचार रखे। प्रारंभ में धनंजय राय, अंजनी गिरि, संजय राय, रामजी, सुरेंद्र कुमार आदि ने यात्रियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया। संचालन मोहनकांत राय ने किया।


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