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बाल अपराध: दंड नहीं सुधार का है प्रावधान

By Edited By: Published: Mon, 01 Sep 2014 09:56 PM (IST)Updated: Mon, 01 Sep 2014 09:56 PM (IST)

चंदौली : नवीन किशोर न्यायालय भवन परिसर में सोमवार को किशोर न्याय अधिनियम के महत्वपूर्ण प्रावधान विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया।

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कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए जनपद एवं सत्र न्यायाधीश डा एनके बहल ने कहा कि हम सभी का यह क‌र्त्तव्य बनता है कि हम यह देखें कि किस व्यक्ति ने अपराध किया है। साथ ही उसके अपराध की मानसिकता क्या है। कहा कि सात वर्ष का बालक अपराध नहीं कर सकता। बताया कि कानून में बालकों का दो वर्ग है। एक सात वर्ष से कम उम्र के बालक व दूसरा सात वर्ष एवं 12 वर्ष तक के बालक शामिल हैं। बालकों से संबंधित सभी कानूनों को समेकित करके एक कानून बनाया गया है।

श्री बहल ने कहा कि किशोर अपचारी की उम्र अपराध करने के दिन से मानी जाएगी। प्रधान न्यायाधीश किशोर न्याय बोर्ड ने बताया कि कानून में किशोर अपचारियों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। जिसमें दंडित करने के स्थान पर सुधार पर बल दिया जाता है। कार्यशाला को जिला प्रोवेशन अधिकारी श्रवण कुमार गुप्ता, अधिवक्ता एमपी सिंह, मुरलीधर आदि ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर कई संख्या में विभागीय अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।


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