नाम है, पहचान है पर नहीं है बस स्टेशन
बहराइच : नेपाल सीमा से सटे नानपारा तहसील के लोग काफी समय से रोडवेज बस स्टेशन की मांग कर रहे हैं, लेक
बहराइच : नेपाल सीमा से सटे नानपारा तहसील के लोग काफी समय से रोडवेज बस स्टेशन की मांग कर रहे हैं, लेकिन इनकी कोई नहीं सुन रहा है। रोडवेज बस स्टेशन के लिए लोग तरस रहे हैं। राजा-रजवाड़ों के नगर में देश-विदेश के लोग आते हैं। इन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस लिहाज से यहां बस स्टेशन की जरूरत है। जनप्रतिनिधियों व जिम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता से लोगों का सपना साकार होता नहीं दिख रहा है। संभावनाएं भी अब धूमिल होती जा रही है।
नेपाल बार्डर की सबसे पुरानी तहसील का मुख्यालय नानपारा में यातायात व्यवस्था का एकमात्र साधन प्राइवेट बसे ही हैं। यदि किसी को अपने कार्यो के लिए लखनऊ, गोंडा-फैजाबाद व अन्य शहरों को जाना हो तो उसका सफर बहुत ही दुखदाई होता है। कारण है कि वह पहले निजी बस से बहराइच जाएगा। इसके बाद लखनऊ का साधन मिलेगा। वैसे तो तहसील के रुपईडीहा कस्बे में बस अड्डा बना हुआ है जहां से प्रतिदिन लगभग 200 बसें दिल्ली, सीतापुर, हरिद्वार, लखीमपुर, बरेली, लखनऊ, फैजाबाद और बनारस जाती हैं, मगर इन बसों का लाभ नानपारा वासियों को नही मिल पाता है। कारण साफ है कि तकरीबन 80 फीसद परिवहन निगम की बसें बाईपास से निकल जाती हैं। 20 फीसद बसें सुबह-शाम नगर से गुजरती हैं। इन बसों के स्टाप के लिए जगह ही नहीं है। सड़क पर बसें खड़ी होती हैं। इससे जाम भी लग जाता है। डॉ. अबुल हसन अंसारी कहते हैं कि बस स्टेशन न होने से यातायात व्यवस्था चरमरा गई है। इससे विकास भी प्रभावित होता है। मौलाना कय्यूम का कहना है कि नानपारा में रोडवेज बस स्टेशन की स्थापना के लिए वर्षों से संघर्ष किया जा रहा है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं है। वीरेंद्र कुमार ¨सह का कहना है कि यदि किसी यात्री को आने में देर हो जाती है तो उसे मजबूरन रात बहराइच ही गुजारना पड़ता है। समाजसेवी सीमा का कहना है कि यदि नानपारा में रोड़वेज बस स्टेशन का निर्माण हो जाए तो महिलाओं का सफर सुगम हो जाएगा। प्रेम शीला यादव कहती हैं कि रोडवेज बसें नानपारा से निकलती हैं, लेकिन इसका लाभ नगरवासियों काोनहीं मिल रहा है। फरीद खान कहते हैं कि जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते यातायात व्यवस्था न होने से क्षेत्र पिछड़ता जा रहा है।