पहले कब्जामुक्त हों तो प्यास बुझाएं तालाब
बहराइच : पर्यावरण एवं जल संरक्षण के लिए वरदान साबित होने वाले तालाबों पर अवैध कब्जे कर लिए गए हैं। इ
बहराइच : पर्यावरण एवं जल संरक्षण के लिए वरदान साबित होने वाले तालाबों पर अवैध कब्जे कर लिए गए हैं। इसकी शिकायत किए जाने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
कैसरगंज के ग्राम पबना का तालाब अतिक्रमणकारियों के निशाने पर है। तालाब के एक किनारे से लोगों ने मकान बनाना शुरू कर दिया है। बचे तालाब में लोग कूड़ा डाल रहे हैं। इसके चलते तालाब का अस्तित्व समाप्त होता जा रहा है। बदरौली में भी तालाब पर अवैध कब्जा कर उसकी सूरत बदली जा रही है। ग्राम कहरई का तालाब देखरेख के अभाव में सूखा पड़ा है। सराय कनहर व गोड़हिया नंबर एक में स्थित तालाब का कोई पुरसाहाल नहीं है। पशु-पक्षी पानी के लिए बेहाल हैं। गांव में बनाए गए आदर्श तालाब भी सूख चुके हैं। तालाब संरक्षण के लिए बने कानूनों की सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को फिक्र नहीं है। राजस्व अभिलेखों में भले ही तालाब दर्ज हों और पानी से भरे हों, लेकिन हकीकत में इनका नामोनिशान अब मिटता जा रहा है। ग्राम गुथिया के ¨रकू ¨सह का कहना है तालाबों का अस्तित्व बचाना जरूरी है। जल संचयन न होने की दशा में पशु-पक्षियों के सामने पीने के पानी का संकट खड़ा हो जाएगा। अवस्थीपुरवा के मनोज अवस्थी का कहना है कि तालाब जलकुंभी से पटे हुए हैं। कुंडासर के अजय ¨सह का कहना है कि जानवरों को नहलाने व पक्षियों को पानी पीने के लिए तालाब महत्वपूर्ण है। भू-जल संवर्धन के लिए हम सभी को मिलकर एक अभियान चलाना होगा। अधिवक्ता अजय प्रताप ¨सह का कहना है कि झील, तालाब, व पोखर गांवों की शान हुआ करते थे, लेकिन अब इनका अस्तित्व संकट में है। अजय श्रीवास्तव का कहना है कि क्षेत्र के तालाबों का अस्तित्व बनाए रखने के लिए संरक्षण किया जाना जरूरी है। चंद्रभान ¨सह का कहना है कि तालाबों के संरक्षण के लिए हम सभी को बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी करनी चाहिए। हिसामपुर निवासी नीरज श्रीवास्तव का कहना है कि गांवो के तालाब अतिक्रमण की चपेट में हैं। तालाबों के पटने की वजह से जानवरों को पीने के पानी की समस्या बढ़ती जा रही है।