मुस्लिम से ¨हदू बनकर लेखपाल का लिया प्रशिक्षण
खुलासा - जनसूचना अधिकार के तहत मांगी गई सूचना में हुआ धर्म बदलने का भंडाफोड़ - तहसीलदार की जांच
खुलासा
- जनसूचना अधिकार के तहत मांगी गई सूचना में हुआ धर्म बदलने का भंडाफोड़
- तहसीलदार की जांच में भी हुई पुष्टि, कार्रवाई के बजाय लेखपाल को बना दिया गया कानूनगो
विजय द्विवेदी, बहराइच
सुनकर अटपटा जरूर लगेगा, लेकिन यह सौ फीसदी सच है। जी हां ! अनुसूचित जाति के आरक्षण का लाभ लेने के लिए मुस्लिम धोबी से ¨हदू धोबी बनकर एक लेखपाल ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। परिवार रजिस्टर में भी समय-समय पर जाति व धर्म परिवर्तन किया गया है। तहसील की जांच रिपोर्ट में इसकी पुष्टि हुई है। मामला बौंडी थाना क्षेत्र के बैरिया गांव से जुड़ा है। इसका भंडाफोड़ यही के एक ग्रामीण ने जनसूचना अधिकार के तहत सूचना मांगकर किया है। कोर्ट के आदेश पर जालसाजी का मामला भी दर्ज किया गया। आरोप पत्र भी न्यायालय पर भेजा गया। इतना सब कुछ होने के बाद भी लेखपाल मजे से नौकरी कर रहा है।
महसी तहसील के बैरिया निवासी पुत्तन पुत्र बाबादीन की तहसील में उपलब्ध अभिलेख एवं सेवा पुस्तिका में जाति धोबी (मुस्लिम) दर्ज है। मामले का भंडाफोड़ होने पर तत्कालीन तहसीलदार महसी शत्रुघ्न लाल ने आठ जून 2007 को प्रधानाचार्य मंडलीय राजस्व प्रशिक्षण विद्यालय गोंडा से जाति के संबंध में सत्यापन के लिए आख्या मांगी। प्रधानाचार्य ने 18 जून वर्ष 2007 को विद्यालय में उपलब्ध प्रवेश पंजिका वर्ष 1979-80 के आधार पर पुत्तन पुत्र बाबादीन निवासी बैरिया पोस्ट कोड़हा जिला बहराइच का नाम क्रमांक 163 पर जाति वाले स्तंभ में इनकी जाति धोबी (¨हदू) अंकित है, की आख्या दी। परिवार रजिस्टर वर्ष 1971-72 में इनकी जाति मुस्लिम अंकित है। परिवार रजिस्टर वर्ष 1982-83 में ¨हदू अंकित है। परिवार रजिस्टर वर्ष 2003-04 में मुस्लिम धोबी अंकित है। तहसीलदार ने अपनी जांच रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि साक्ष्यों से स्पष्ट होता है कि पुत्तन प्रशिक्षण के दौरान धोबी (¨हदू) जाति दर्शाकर अनुसूचित जाति का लाभ लेकर प्रशिक्षण किया है। साथ ही धोबी (मुस्लिम) पिछड़ी जाति दर्शाकर नौकरी कर रहे हैं। यह भी कहा है कि समय-समय पर परिवार रजिस्टर में जाति व धर्म परिवर्तन किया गया है। इसके लिए तहसीलदार ने लेखपाल को दोषी ठहराया है। यह भी कहा है कि पुत्तन लेखपाल की प्रथम नियुक्ति बाराबंकी जिले में हुई है। ऐसी दशा में मेरे स्तर से कोई विधिक कार्रवाई न्यायोचित नहीं है। जांच रिपोर्ट एडीएम को भेजी गई। यही नहीं जनसूचना के तहत मामले का भंडाफोड़ करने वाले शंकरदयाल पुत्र कृष्ण बिहारी ने जब इसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई तो अदालत की शरण ली। कोर्ट के आदेश पर जालसाजी का मुकदमा भी दर्ज हुआ। शंकरदयाल का आरोप है कि अधिकारी कार्रवाई के बजाय राजनीतिक संरक्षण के कारण मामले को दबाने में जुटे हैं। वर्तमान में लेखपाल नानपारा तहसील में तैनात हैं। एसडीएम एसपी शुक्ला पूरे मामले से अंजान हैं। जांच कराने की बात कह रहे हैं। लेखपाल पुत्तन का पक्ष जानने के लिए उसके मोबाइल नंबर पर शाम छह बजे फोन किया गया। घंटी बजती रही, लेकिन फोन रिसीव नहीं हुआ।