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सरकार की मंशा पर अफसर लगा रहे पलीता

बहराइच : आम आदमी का विश्वास सरकार के प्रति हो। इस सोच को जमीनी हकीकत देने के लिए सरकार ने सुबह 10 से

By Edited By: Published: Tue, 26 Jul 2016 11:59 PM (IST)Updated: Tue, 26 Jul 2016 11:59 PM (IST)
सरकार की मंशा पर अफसर लगा रहे पलीता

बहराइच : आम आदमी का विश्वास सरकार के प्रति हो। इस सोच को जमीनी हकीकत देने के लिए सरकार ने सुबह 10 से दोपहर 12 बजे तक अफसरों को शिकायत सुनने के लिए अपने कक्ष में बैठने के निर्देश दे रखे हैं, लेकिन हकीकत इससे जुदा है। जिले के आला ओहदेदार और अलग-अलग विभागों के मुखिया अपने कक्षों में समय पर मिलते नहीं हैं। दूरदराज क्षेत्रों से आने वाले पीड़ित इस उम्मीद में आते हैं कि आला हाकिम से शिकायत कर न्याय पाएंगे, लेकिन प्रशासन की चौखट पर उनकी यह दरकार टूट जाती है। मुख्यालय पर जब अफसर नहीं बैठते हैं तो तहसील, कस्बों और ग्रामीण इलाकों का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। सरकार की साख को अफसर पलीता लगा रहे हैं। विधानसभा चुनाव अगले कुछ महीनों बाद होने हैं। मंगलवार की सुबह 'दैनिक जागरण' ने कलेक्ट्रेट और विकास भवन का जायजा लिया तो अफसर अपने चैंबर में बैठे दिखे नहीं। रुक-रुक कर हो रही बूंदाबांदी के बीच फरियादी जरूर साहब के आने की टकटकी लगाए इंतजार करते दिखे।

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स्थान : कलेक्ट्रेट का एडीएम कार्यालय

समय : सुबह 10.25 बजे

एडीएम के कार्यालय के बाहर सन्नाटा था। फरियादी बगल टीनशेड के नीचे इंतजार करते मिले। मिहीपुरवा के गंगापुर से आए ज्ञान कुशवाहा व राजू ने बताया कि साहब से मिलने आए हैं लेकिन साहब की गाड़ी अभी आई नहीं है।

स्थान : विकास भवन का डीपीआरओ चैंबर

समय : सुबह 10.35 बजे

ग्रामपंचायतों के विकास का खाका डीपीआरओ कार्यालय में तैयार किया जाता है। विभाग के मुखिया इस समय तक कुर्सी पर बैठ नहीं पाए थे। कार्यालय में कुर्सी खाली थी। बिछिया से सोनू ग्रामपंचायत में हुई अनियमितता की शिकायत करने आए थे, लेकिन वे मिल नहीं पाए।

डीएम के जगह अतिरिक्त मजिस्ट्रेट

लखनऊ के इंदिरा नगर से डॉ.एमडी वाजपेयी डीएम अभय से मिलने के लिए तकरीबन 11.30 बजे कलेक्ट्रेट पहुंचे। वहां मौजूद कर्मियों ने बताया कि शिकायतें सुनी जा रही हैं। कार्यालय में पहुंचने पर देखा कि डीएम के जगह पर अतिरिक्त मजिस्ट्रेट शिकायत सुन रहे थे। इस पर वे वापस लौट आए। उन्होंने बताया कि वे अपनी बात डीएम से कहने के लिए लखनऊ से आए थे, लेकिन वे बैठे नहीं थे। ऐसे में अतिरिक्त मजिस्ट्रेट से अपनी बात बताना बेकार है, क्योंकि वे इस तरह पहले अन्य अधिकारियों से मिल चुके हैं।


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