मुस्लिम अभिभावकों को भा रही संस्कारी शिक्षा
बहराइच : सरस्वती शिशु मंदिर व विद्या मंदिर स्कूल का नाम जेहन में आते ही संस्कारों की बुनियाद की परिक
बहराइच : सरस्वती शिशु मंदिर व विद्या मंदिर स्कूल का नाम जेहन में आते ही संस्कारों की बुनियाद की परिकल्पना दिमाग में तैयार हो जाती है। इसी से प्रेरित होकर मुस्लिम अभिभावक भी अपने बच्चों को सरस्वती स्कूलों में प्रवेश दिलाने में पीछे नहीं हैं। मुस्लिम तबके की सोच में आया यह परिवर्तन सामाजिक बदलाव की आहट दे रहा है।
तकरीबन तीन दशक पहले सरस्वती स्कूलों की स्थापना छोटे जिलों में भी सुनिश्चित की गई। स्थापना के बाद से इस विद्यालय ने अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा देने वाले स्कूलों को कड़ी चुनौती पेश की। ¨हदू संस्कार की बुनियाद इस स्कूल की नींव थी। यही कारण था कि बड़े पैमाने पर संस्कारों से जुड़ने की प्रेरणा के चलते अभिभावक अपने बच्चों का यहां बढ़-चढ़कर प्रवेश दिलाते थे। विद्यालय में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम, क्रीड़ा प्रतियोगिताएं, गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस, बाल दिवस, गांधी जयंती जैसे कार्यक्रम में शहर की गणमान्य लोग शामिल होते थे। वर्ष 1988-89 में इस विद्यालय में महज एक विद्यार्थी ने प्रवेश लिया था। वर्तमान समय में जैनब, मुशीर अहमद, मुहम्मद नसीम, मुहम्मद अल्ताफ, रईस अहमद अंसारी, रिजवान अहमद, शुएब अली, जुनेद अहमद, मुहम्मद जावेद अंसारी, मुहम्मद जैद खान, मुहम्मद जीशान, मुहम्मद इमरान, नियाज अहमद समेत अन्य कक्षा छह से 12 तक विद्यार्थी स्कूल में शिक्षण ले रहे हैं। सरस्वती विद्या मंदिर के प्रधानाचार्य उत्तम कुमार मिश्र ने बताया कि बेहतर और गुणवत्तायुक्त शिक्षा से प्रेरित होकर अभिभावक विद्यालय में अपने बच्चों को प्रवेश कराते हैं। विद्यालय के कई ऐसे पुरातन छात्र हैं, जिन्होंने यहां शिक्षा हासिल करने के बाद स्थानीय स्तर से लेकर राष्ट्रीय फलक तक समाज के लिए सकारात्मक कार्य किए हैं। यही कारण है कि मुस्लिम अभिभावक भी अपने बच्चों को ऐसी शिक्षा देना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि जुलाई में प्रवेश होने हैं। इसमें भी मुस्लिम विद्यार्थियों की संख्या बढ़ सकती है।