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सिमट रहे आदर्श ताल, खोल रहे व्यवस्था की पोल

बहराइच : गांव-गांव में मौजूद तालाब और सरोवरों का भूगर्भ जल स्तर को बरकरार रखने में योगदान तो है ही,

By Edited By: Published: Tue, 21 Jun 2016 12:13 AM (IST)Updated: Tue, 21 Jun 2016 12:13 AM (IST)
सिमट रहे आदर्श ताल, खोल रहे व्यवस्था की पोल

बहराइच : गांव-गांव में मौजूद तालाब और सरोवरों का भूगर्भ जल स्तर को बरकरार रखने में योगदान तो है ही, आसपास के इलाके को सुंदरीकरण करके लोगों के मनोरंजन का स्थान भी बनाया जा सकता है। सरकार ने कई योजनाओं के तहत इसकी कवायद भी शुरू की, लेकिन जिम्मेदारों की उपेक्षा से तालाब आदर्श बनते-बनते रह गए।

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फखरपुर ब्लॉक के ग्राम पंचायतों में स्थित तालाबों की कहानी कुछ अलग नहीं है। तालाबों की साफ सफाई व खोदाई का काम के दावे और हकीकत मेल नहीं खा रहे हैं। योजना सिर्फ कागजों में ही सिमटती नजर आ रही है। अंगनापारा व हैबतपुर गांव की सीमा पर स्थित पाठक ताल आपसी खींचातानी की भेंट चढ़ गया है। दो ग्राम पंचायतों की सीमा पर होने के कारण न तो इसकी खोदाई ठीक ढंग से हो पाती है और न ही सुंदरीकरण का काम परवान चढ़ पाता है। हालात यह हैं कि गर्मी के मौसम में दूसरों की प्यास बुझाने वाला तालाब खुद प्यासा है। जागरण द्वारा चलाए जा रहे तलाश तालाबों की अभियान के बाद जिम्मेदारों ने तालाब की सुधि तो ली, लेकिन जिस ढंग से खोदाई व मरम्मत का काम होना चाहिए था वह नहीं हो रहा है। ग्रामीणों को इस बात का मलाल है कि तालाबों के रखरखाव के लिए शासन से जो धनराशि आवंटित की जाती है वह अधिकारियों के भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है। गांव निवासी ननकऊ शुक्ला ने बताया कि तालाबों को सुरक्षित रखना ग्राम पंचायत की जिम्मेदारी है। इससे न सिर्फ खेतों की ¨सचाई के लिए पानी मिलता है जंगली जानवरों की प्यास भी बुझती है। रमा शंकर ने बताया कि तालाबों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। मनरेगा योजना के तहत होने वाले काम की नियमित निगरानी होनी चाहिए। अंगना पारा ग्राम प्रधान अजय शुक्ला ने बताया कि गांव में मनरेगा के तहत कराए जा रहे काम में तालाबों का जीर्णोद्धार प्रमुखता में है। पहले से तालाबों की स्थिति काफी अच्छी हुई है। दाताराम पाल ने बताया कि तालाबों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। मनरेगा योजना में प्रशासनिक लापरवाही के कारण तालाब सिमटते जा रहे हैं। चंद्रकांत गुप्ता व सतीश ने बताया कि एक समय ऐसा था कि पाठक ताल में पानी कभी समाप्त नहीं होता था। इसमें ¨सघाड़ा बोया जाता था और कमल के फूल खिलते थे। उपेक्षा के कारण इसका अस्तित्व समाप्त होता गया। अब फिर से तालाब की खोदाई होने से दिन बहुरने की उम्मीद जगी है।


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