तालाबों पर खड़े हो रहे कंकरीट के जंगल
बहराइच : सुप्रीमकोर्ट का आदेश। सरकार की जल संरक्षण की मंशा। इसके बाद भी प्राकृतिक जल स्त्रोतों में अ
बहराइच : सुप्रीमकोर्ट का आदेश। सरकार की जल संरक्षण की मंशा। इसके बाद भी प्राकृतिक जल स्त्रोतों में अहम भूमिका वाले तालाबों के प्रति प्रशासन का वही पुराना फंडा। प्रशासनिक इच्छाशक्ति के अभाव में धीरे- धीरे गांवों के तालाब राजस्व नक्शे से गायब होते जा रहे हैं। तालाबों को अतिक्रमण मुक्त कराने की दिशा में हो रहे कार्याें का हस्त्र किसी से छिपा भी नहीं है। जल संरक्षण का वैसे तो डंका शासन व प्रशासन पीट रहा है, लेकिन हालात और मौके की स्थिति ठिठकने को विवश करते हैं।
कभी जल संरक्षण के प्राकृतिक स्त्रोत रहे तालाब अब गांवों में भी अंतिम सांस लेने की ओर हैं। अगर शासन प्रशासन ने अभी से इस पर ध्यान नहीं दिया तो वह दिन दूर नहीं जब किस्से कहानियों में ही तालाब रह जाएंगे। विकास खंड कैसरगंज के ग्राम रेवली के तालाब को ही देखें। इस तालाब के चारों ओर अतिक्रमण का संजाल है। गांव के लोग तालाब के तीनों ओर घर बना लिए हैं। बचे हिस्से पर कूड़ा-करकट पाट रहे हैं। इससे तालाब का अस्तित्व धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है। गांव के लोग भी इससे ¨चतित हैं। रेवली ही नहीं ब्लॉक क्षेत्र के अधिकतर तालाबों का यही हाल है। तालाबों पर अतिक्रमणकारियों की काली नजरें लगी हुई हैं। क्षेत्र के ग्राम पबना का तालाब भी सूखा पड़ा है। झाड़-झंखाड़ के बीच लोग इस पर कब्जा कर रहे हैं। ग्राम चिलवा के तालाब की स्थिति तो और बदहाल है। पानी न होने से जलकुंभी व जमी काई तालाब के अस्तित्व को मिटाने पर तुली हैं। कहरई, डिहवा शेर बहादुर, बदरौली व अन्य गांवों के तालाबों की हालत बेहद खराब है। कोई इन तालाबों की सुधि लेने वाला नहीं है।
जल देव की उपेक्षा अब बर्दाश्त नहीं
-ग्राम चिलवा के रमेश ¨सह लाल का कहना है कि तालाबों का अस्तित्व संकट में है। तालाबों में पानी सूख गया है, लेकिन जिम्मेदार फिक्रमंद नहीं हैं। शिक्षक पुत्तीलाल यादव कहतें हैं कि हम सभी का यह दायित्व बनता है कि अपने-अपने गांवों में मौजूद तालाबों की साफ-सफाई करें तथा उसे सुरक्षित भी रखें। ग्राम जमल्दीपुर के रघुराज प्रसाद वर्मा का कहना है कि तालाब, पोखर आदि जल संचयन के सशक्त माध्यम हैं। इसे संजोकर रखने की जिम्मेदारी सबकी बनती है। ग्राम चिलवा अवस्थीपुरवा के अनिल अवस्थी तालाबों पर हो रहे अतिक्रमण से ¨चतित दिख रहे हैं। ग्राम गढ़ी निवासी विश्वपाल ¨सह की भी यही पीड़ा है। वे कहते हैं कि पहले तालाब को देवता तुल्य माना जाता था, लेकिन अब लोग तालाबों को पाट कर उस पर घर बनाकर जल देवता की उपेक्षा कर रहे हैं। राजेश शर्मा का कहना है कि जल नहीं तो कल नहीं। तालाबों के संरक्षण के लिए आगे आना होगा। ग्राम डिहवा शेर बहादुर ¨सह के नरेंद्र चौधरी का कहना है कि तालाब हमारे गांव की शान होते हैं। इसकी रखवाली भी हम सभी को करनी होगी। ग्राम सराय कनहर के विष्णु प्रताप ¨सह ने कहा कि हम सभी को तालाबों के संरक्षण के लिए आगे आना होगा।