सूख गई सरयू मे मेंथा की खेती
बहराइच श्रीमद भागवत में महर्षि वेद व्यास ने लिखा है कलियुग में पांच हजार वर्ष बाद सरयू नदी लुप्त ह
बहराइच
श्रीमद भागवत में महर्षि वेद व्यास ने लिखा है कलियुग में पांच हजार वर्ष बाद सरयू नदी लुप्त हो जाएगी। यह बात आज सार्थक होती नजर आ रही है। भंगहा घाट से लेकर जगतापुर, गुलरिहा, मोकला से लेकर भग्गड़वाघाट के बीच कभी हिलोरे मारने वाली सरयू नदी आज सूख गई है। आसपास के लोग नदी की बीच धारा में मेंथा की खेती कर रहे हैं। पानी तो दूर अब नदी को यहां पहचानना भी मुश्किल हो रहा है। क्षेत्र में लगभग 35 किलोमीटर में बहने वाली सरयू नदी में कहीं-कहीं ही पानी बचा है।
एक समय था जब खेतों के बीच लबालब भरी बहने वाली सरयू नदी लोगों की आस्था का केंद्र थी। विभिन्न पर्वो पर डुबकी लगाने के लिए श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगता था, लेकिन सरयू का अस्तित्व ही समाप्त होता जा रहा है। गोस्वामी तुलसीदास ने भी सरयू नदी की महिमा का गुणगान किया है। पतित पाविनी मोक्षदायिनी सरयू की दुर्दशा को देखकर क्षेत्र के प्रबुद्ध लोग खिन्न हैं। सरयू नदी की बहती हुई तेज धारा जहां नदी में पटी हुई गंदगी को अपने साथ बहा ले जाती थी आज वही नदी दम तोड़ती नजर आ रही है। सरयू नदी के बीचोबीच पानी नहीं मेंथा की खेती लहलहा रही है। लोग नदी के सीने को चीर कर खेती किसानी कर रहे हैं। बहराइच में सरयू नदी मिहींपुरवा के पास से निकल कर नानपारा होते हुए बहराइच से कर्नलगंज तक सैकड़ों किलोमीटर में बहती है। नदी के किनारे सैकड़ों मठ मंदिर व सरयू घाट बने हुए हैं। हालात यह है कि सरयू नदी अब पूरी तरीके से घासफूस जलकुंभी व क्षेत्र के नालों से आई हुई गाद से पट चुकी है। नदी की तलहटी में लोग मेंथा की फसल लगाए बैठे हैं। सरयू नदी की तलहटी पूरी तरीके से पट चुकी है। सरयू स्नान के लिए कहीं-कहीं थोड़ा बहुत पानी बचा है। गंदगी भरे पानी में लोग नहाने के लिए लोग मजबूर हैँ। केंद्र व राज्य सरकार द्वारा नदियों की सफाई का ¨ढढोरा पीटा जा रहा है, लेकिन वास्तव में सरयू की इस दुर्दशा को देखने वाला कोई नहीं है। सामाजिक संस्थाएं भी सरयू को साफ करने का अभियान तो चलाती हैं, लेकिन जलकुंभी हटाने और फोटो ¨खचाने तक ही यह अभियान सीमित रह जाता है। सरयू नदी के अस्तित्व के साथ अगर ऐसा ही सौतेला व्यवहार होता रहा और शासन और प्रशासन द्वारा कोई ठोस कार्य योजना नहीं बनाई गई तो आने वाले दिनों में सरयू नदी का अस्तित्व पूरी तरीके से समाप्त हो जाएगा। साथ ही यहां के निवासियों को पानी के संकट से जूझना पड़ेगा।