दिन में खुशी शाम को मायूसी
बहराइच : गुरुवार का दिन और क्रिकेट विश्वकप के सेमीफाइल मुकाबले का रोमांचक क्षण। फसलों से खरपतवार निक
बहराइच : गुरुवार का दिन और क्रिकेट विश्वकप के सेमीफाइल मुकाबले का रोमांचक क्षण। फसलों से खरपतवार निकाल रहे किसान भी मायूसी में नजर आए। विकटों की पतझड़ रेडियो लेकर बैठे किसानों के माथे पर ¨चता की लकीरें बढ़ा रहे थे। सेमीफाइनल मैच की हार से जहां मायूस थे, वहीं क्रिकेटर के विराट पारी की चूक उन्हें पल-पल याद आती तो कोसना शुरू कर देते। युवा, वृद्ध हो या खेतों में निराई करता किसान। टेलीविजन न सही तो रेडियो का सहारा लिया। मैच भारत के हाथ से निकल गया तो प्रशंसकों को मायूसी हाथ लगी।
सिडनी में खेला जा रहा भारत-आस्ट्रेलिया का सेमीफाइल मैच प्रशंसकों के लिए महासंग्राम से कम नहीं था। कोई टेलीविजन पर तो कोई रेडियो के करीब था। और तो और किसान अपने खेतों में भी रेडियो ले जाना नहीं भूले। हो भी क्यों न भारत की टीम का फाइनल का टिकट पक्का करने के लिए करो या मरो की स्थिति थी। बात करते हैं क्रिकेट प्रशंसकों की। 38 वर्षीय सिकंदरपुर निवासी ननके मिश्र खेत में मेंथा के फसल की निराई में तल्लीन थे। साथ ही पास में रखे रेडियो पर कान लगाए थे। यह उनका क्रिकेट प्रेम था कि जब भारत कोई विकेट खोता तो बुदबुदाने लगते और बल्लेबाजों को कोसने लगते। इस बीच हंसिया लिए खेतों में बरसीम काटने जा रहे गांव निवासी पंकज कुमार की रेडियो पर नजर पड़ी तो ठिठक गए। पास आकर मिश्र से मैच की चर्चा शुरू कर दी। वे भारतीय टीम के लचर प्रदर्शन से बेहद खफा थे। विपक्षी टीम द्वारा डाली जा रही एक-एक गेंद का हिसाब भी लगा रहे थे। यह किसी एक का नहीं वरन देश के शहर व गांव में रहने वाले प्रत्येक क्रिकेट प्रेमी का था।