कुएं की सुरक्षा रामसमोखन का मिशन
बहराइच : कुआं। तीन दशक पहले पेयजल का सशक्त माध्यम। हैंडपंप का प्रयोग और शहरीकरण की तेज गति से ये एक-
बहराइच : कुआं। तीन दशक पहले पेयजल का सशक्त माध्यम। हैंडपंप का प्रयोग और शहरीकरण की तेज गति से ये एक-एक कर समाप्त होते चले जा रहे हैं। समय के साथ हैंडपंप, वाटर सप्लाई व वाटर प्यूरीफायर का पानी लोग पी रहे हैं, लेकिन कुएं को साफ सुथरा रखने का मिशन रामसमोखन की आंखों में अब भी तैरता है। वे गांव में अपने घर के बाहर बने कुएं को नियमित रूप से साफ कर रहे हैं और उसके समय-समय पर जीर्णोद्धार को लेकर जनप्रतिनिधियों से गुहार भी लगाते हैं। उनका यह कार्य क्षेत्र में अन्य लोगों के लिए आंख खोलने के लिए काफी है।
जरवल ब्लॉक के बंभौरा ग्राम सभा के मजरा दिलीप¨सहपुरवा में रहने वाले रामसमोखन कुएं को लेकर काफी संवदेनशील हैं। वे कहते हैं कि उनके पिता बदलू ने 120 वर्ष पूर्व पानी पीने के लिए कुएं का निर्माण कराया था। घर के सदस्य आज भी इसी कुएं का पानी पीते हैं। पूरी तरह स्वस्थ हैं। आसपास के लोग जब गुजरते हैं तो वे भी इस कुएं पर गले को तर करते हैं। कुएं की साफ सफाई के लिए उनके साथ पड़ोस के जुराखन व कृष्णा भी सहयोग करने में पीछे नहीं रहते हैं। आठ वर्ष पूर्व कुएं की उपयोगिता को देखते हुए राम समोखन के सुझाव पर तत्कालीन ग्राम प्रधान शिवरानी ने इसका जीर्णोंद्धार कराया। मौजूदा प्रधान अजय वर्मा ने बताया कि कुएं के उपयोग को देखते हुए इसके चारो ओर चबूतरा और नाली निर्माण का प्रस्ताव तैयार किया गया है। गर्मी के दिनों में अधिकतर लोग इसी कुएं का पानी प्रयोग करते हैं क्योंकि यह ठंडा भी रहता है। बकौल रामसमोखन, वे कई रिश्तेदारियों में गए तो उन्हें यह बात सालती रही कि अब विवाह की परंपरा में कुआं घूमने के रिवाज में कुएं नहीं मिल रहे हैं। जो हैं उन्हें कूड़ों से पाट दिया गया है। इसी कारण वे इस कुएं को नियमित रूप से साफ करने और इसके उपयोग को बनाए रखने की आवश्यकता परिवार के सदस्यों को बताते रहते हैं।