डंठल को खेतों में जलाना हानिकारक
बहराइच: फसल का अवशेष खेतों में जलाने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति नष्ट हो जाती है। पोषक तत्वों में कमी
बहराइच: फसल का अवशेष खेतों में जलाने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति नष्ट हो जाती है। पोषक तत्वों में कमी आ जाती है। सूक्ष्म जीवाश्म मर जाते हैं। जिससे फसलों के उत्पादन पर विपरीत असर पड़ता है। इसके बावजूद किसान बेहिचक अवशेष को जलाने का कार्य करते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि खेतों में अवशेष जलाने के बजाए पानी भरकर निस्तारण किया जाना उपयुक्त होता है।
इन दिनों खेतों में फसलों के अवशेष जलते देखा जा सकता है। किसान अपने खेतों की सफाई के लिए यह तरीका अपनाते हैं। जबकि कृषि वैज्ञानिक अवशेष को खेतों में जलाने की प्रक्रिया को ठीक नहीं मानते हैं। कृषि वैज्ञानिक और उच्चाधिकारियों ने कई बार किसानों से खेतों में डंठल न जलाए जाने की अपील की है बावजूद इसके धान की फसल हो या गेंहूं। अनाज निकालने के बाद किसान बेहिचक अवशेष को खेतों में ही जलाने का काम करते हैं। कृषि वैज्ञानिक इसे उत्पादन के लिए नुकसानदायक मानते हैं। कृषि विज्ञान केन्द्र के फसल उत्पादन के वैज्ञानिक डा. शेर सिंह का कहना है कि किसानों को खेतों में पड़े अवशेष को नहीं जलाना चाहिए। उन्होंने बताया कि मिट्टी में पाए जाने वाले पोषक तत्व नत्रजन, फास्फोरस, पोटाश, सल्फर नष्ट हो जाते हैं। कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि अवशेष को खेत में इकट्ठा कर जलाना और अधिक नुकसानदायक होता है। इसमें मिटटी के नीचे पाए जाने वाले सूक्ष्म जीवाश्म गर्मी से मर जाते हैं। उनका कहना है कि खेती की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है जिससे फसल के उत्पादन पर फर्क पड़ता है। कृषि वैज्ञानिक श्री सिंह ने बताया कि जिन खेतों में फसलों के डंठल अथवा अवशेष अधिक हों उसमें पानी भरकर दो किलोग्राम प्रति बीघा के हिसाब से यूरिया का छिड़काव करना चाहिए। इससे एक सप्ताह में अवशेष सड़कर जीवाश्म बन जाते हैं। इसके साथ ही पोषक तत्व व सूक्ष्म जीवाश्म भी सुरक्षित रहते है।