Move to Jagran APP

उगते सूर्य को अ‌र्घ्य देने के साथ पूरा होगा छठ व्रत

बहराइच : उदय होते सूर्य को अ‌र्ध्य देने के साथ आज छठ व्रत का समापन होगा। चार दिनों तक चलने वाली छठ

By Edited By: Published: Wed, 29 Oct 2014 08:47 PM (IST)Updated: Wed, 29 Oct 2014 08:47 PM (IST)

बहराइच : उदय होते सूर्य को अ‌र्ध्य देने के साथ आज छठ व्रत का समापन होगा। चार दिनों तक चलने वाली छठ पूजा में व्रती महिलाएं पुत्रों व पति के दीर्घायु होने की कामना के साथ नदियों तालाबों में सूर्य को अ‌र्घ्य देने के बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत तोड़ेंगी। इससे पहले बुधवार को महिलाओं ने अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्य देकर छठ मैया की पूजा की।

loksabha election banner

छठ पूजा के तीसरे दिन महिलाओं ने निर्जला व्रत रखकर शाम को अस्त होते सूर्य को अ‌र्घ्य दिया। नदी घाटों पर भारी संख्या में महिलाओं ने सूर्य अ‌र्घ्य देने के साथ मौसमी फल, गन्ना, सिंघाड़ा, कंद, हल्दी, अदरक, मूली आदि छत्तीस प्रकार के फलों व सब्जियों के साथ छठ पूजन किया। इस दौरान छठ मैया के भोजपुरी भक्ति लोक गीतों से माहौल भक्तिमय हो गया। रामगांव संवादसूत्र के अनुसार नदी घाटों पर छठ पूजा में महिलाएं देर शाम तक नदी में डाल लेकर सूर्य के डूबने तक खड़ी रहीं। बताते चलें कि बुधवार को पूरे दिन निर्जल व्रत रहने के बाद शाम होते ही घाटों पर महिलाएं फल का टोकरी लेकर पहुंची। क्षेत्र के साहबपुरवा शहनवाजपुर, आजाद नगर, समसा तरहर, बबुरहन टेपरा, गोदनी बसाही, मलुआ भकुरहा आदि स्थानों पर धूमधाम से छठ मनाया गया। रुपईडीहा संवादसूत्र के अनुसार हनुमान सरोवर के तट पर हजारों की संख्या में महिलाओं ने अस्त होते हुए सूर्य को अ‌र्घ्य दिया। गुरु वार सुबह सूर्य को सरोवर में खड़ी होकर महिलाएं सूर्य पूजन करेंगी। पुत्र प्राप्ति की कामना व सुख सौभाग्य की आकांक्षा के लिए सूर्य की उपासना की जाती है।

यहां हुई पूजा

बहराइच : शहर के सरयू तट स्थित मरी माता मंदिर, झिंगहा घाट, समय माता मंदिर बेरिया आदि स्थानों पर महिलाओं की भारी भीड़ उमड़ी। महिलाओं ने अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्य देकर छठ पूजा की।

सबकी मन्नत होती है पूरी

बहराइच : सूफीपुरा की रहने वाले कुसुम बताती हैं कि छठ मैया की पूजन व्रत से बिना मांगे ही सबकुछ मिल जाता है। गुदड़ी निवासी पुष्पा देवी बताती हैं कि छठ मैया और सूर्य देवता के आर्शीवाद से संतान सुख व जीवन में खुशहाली आती है। रामगांव के साहबपुरवा निवासी 80 वर्षीय सुदामा देवी बताती हैं कि वह 1960 से छठ पूजन करती जा रही है। सच्चे मन से मांगी गई हर मन्नत पूरी हुई।

इसलिए मनाई जाती है छठ

बहराइच : सूर्य देव व मां प्रकृति देवी की आराधना का पर्व छठ मनाने के पीछे कई कथाएं प्रचलित हैं। आध्यात्मिक कथाओं के अनुसार ब्रह्मा की मानस पुत्री प्रकृति देवी की आराधना कर संतान रक्षा की कामना की जाती है। यह भी कहा जाता है कि मां जानकी ने श्रीराम के राज्याभिषेक के बाद कार्तिक पूर्णिमा की षष्ठी को व्रत रखा था। उसके बाद से व्रत की परंपरा शुरू हो गई।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.