डीएम एसपी ने अधिकारियों संग किया ईदगाहों का निरीक्षण
बहराइच : जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक ने सोमवार को अधिकारियों के दल के साथ ईद की नमाज के लिए साफ सफाई एवं अन्य व्यवस्थाओं को निरीक्षण किया। वे मरकजी ईदगाह एवं दरगाह ईदगाह भी गये।
ईदगाह के निरीक्षण के दौरान डीएम व एसपी ने ईदगाह परिसर का भ्रमण किया तथा मौके पर मौजूद मुतवल्ली ईदगाह इशरत महमूद खां से व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी प्राप्त की। डीएम ने अधिशाषी अधिकारी नगर पालिका को पानी टैंकर इत्यादि की समुचित व्यवस्था कराये जाने का निर्देश दिया। ईदगाह के मुतवल्ली की ओर से ईदगाह परिसर में पौधरोपण कराये जाने का भी सुझाव दिया गया। इस संबंध में जिलाधिकारी ने कहा कि प्रभागीय वनाधिकारी के माध्यम से पौधरोपण कराया जाएगा। ईदगाह का निरीक्षण करते हुए डीएम ने नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष हाजी मुहम्मद रेहान खां, अधिशाषी अधिकारी संगीता कुमारी तथा नगर मजिस्ट्रेट को सुझाव दिया कि आर्किटेक्ट के माध्यम से ईदगाह के सुदृढ़ीकरण एवं सौन्दर्यीकरण का कम्पोजिट प्लान तैयार करायें। मरकजी ईदगाह के निरीक्षण के उपरांत जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक ने नूरुद्दीचक दरगाह शरीफ स्थित ईदगाह का भ्रमण कर मौके पर मौजूद दरगाह प्रबंध समिति के उपाध्यक्ष सैय्यद शमशाद अहमद से व्यवस्थाओं के बारे में जरूरी जानकारी प्राप्त की। उन्होंने बताया कि ईद की नमाज के लिए सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। प्रात: 10 बजे नमाज अदा की जाएगी।
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चित्र परिचय-सैय्यद शमशाद अहमद 09
नमाज से पहले सदकए फित्र अदा करना जरूरी
चित्र परिचय-
जागरण कार्यालय, बहराइच : हजरत सैय्यद सालार मसऊद गाजी रहमतुल्लाह अलैह दरगाह की इंतजामिया कमेटी के नायब सदर सैय्यद शमशाद अहमद का कहना है कि सदकए फित्र रमजान शरीफ गुजरने के बाद ईद के दिन से जुड़ी एक इबादत है। इसे रमजान शरीफ के पूरा होने और रोजे की तौफीक पर अल्लाह ताला की शुक्रगुजारी है। सदकए फित्र अदा करना हर उस मुसलमान पर वाजिब जो निसाबे जकात का मालिक हो या उसके पास जरूरत से ज्यादा जमीन जायदाद, मकान वगैरह हो। अगर नाबालिग बच्चे की मिल्कियत न हो उसके वालिद पर बच्चों की तरफ से सदकए फित्र अदा किया जाएगा। सदकए फित्र एक व्यक्ति पर सवा दो किलो गेहूं है। सदकए फित्र ईद की नमाज से पहले अदा कर देना चाहिए। गरीब, मिस्किन, बेवा औरतें और अपाहिज इसके हकदार हों। अरबी मदरसों के गरीब तालिब इल्म को भी यह दिया जा सकता है। सदकए फित्र पहली बार दो हिजरी(सन 624 ई.) में मदीने मुनव्वरह में वाजिब करार दिया गया। उन्होंने बताया कि इसी तरह जकात एक अहम तरीन रुक्न है। जिस तरह बदन की इबादत का नाम नमाज है, उसी तरह धन दौलत और माल इबादत का नाम जकात है। जकात की अहमियत पर अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अल्लाह तआला ने कुरान पाक में नमाज के साथ 82 स्थानों पर जमा किया। जकात लफ्ज तज्किये(पाक करना)से बना है। जकात इंसान के माल को पाक करती है और बढ़ाती है।
अल्लाह का इनाम ईद
बहराइच : ईद की फजीलत बयान करते हुए मकबूल शायर -शिक्षक अंजुम जैदी कहते हैं कि ईदुल फितर तमाम रोजेदारों के लिए अल्लाह का दिया हुआ इनाम है। ईद के दिन बंदा इस तरह हो जाता है जैसे उसने कोई गुनाह ही नहीं किया हो। अल्लाह ने कहा कि ऐ बंदे तू मेरे हुक्म से पूरे महीने भूखा प्यासा रहा। तूने इबादत में कोई कसर नहीं छोड़ी तो हम भी तुझे ऐसा बना देंगे कि तेरे दामन पर गुनाह का दाग भी न रहेगा। ईद का तोहफा देकर तुझे नेमतों से मालामाल कर देंगे। ईद के दिन हम सभी को चाहिए कि खुदा का लाख-लाख शुक्रिया अदा करें और नमाजे ईद पढ़ने जाएं तो यही दुआ करें कि ऐ अल्लाह इतनी हयात दे दे कि फिर अगले साल हम रोजे रखकर ईद की खुशियां मनाएं। ईद हमें पैगाम देती है कि देखो आपस में भाईचारा बनाए रखना, पड़ोसी का ख्याल रखना, गरीबों की मदद करना, रिश्तों को तोड़ना नहीं बल्कि रिश्तों को जोड़ने की कोशिश करना चाहिए। आज सबसे बड़ी जरूरत यह है कि हम पहले यह देखें कि क्या हमारे आसपास कोई ऐसा तो नहीं जो गरीब हो और ईद न मना सकता हो। ऐसे बंदे की मदद करके उसे भी ईद की खुशियों में शामिल करना चाहिए।