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तस्वीरें देखिए, अफसरों की तरह चुप हो जाइए

By Edited By: Published: Tue, 22 Jul 2014 12:53 AM (IST)Updated: Tue, 22 Jul 2014 12:53 AM (IST)
तस्वीरें देखिए, अफसरों की तरह चुप हो जाइए

बहराइच : नौनिहालों के पढ़ने के लिए बनाए गए परिषदीय विद्यालय बदहाल हैं। कहीं हैंडपंपों के चबूतरे गायब हैं तो कहीं टूट शौचालय व गायब चहारदीवारी स्कूल चलो अभियान को मुंह चिढ़ा रहे हैं। जिम्मेदार अधिकारियों का इन समस्याओं से कोई सरोकार नहीं है। हाल यह है कि बरसात में विद्यालय जाने के लिए बच्चे कीचड़ से होकर गुजरते हैं।

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बात करते हैं विकास खंड रिसिया के नगर क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय शास्त्री नगर का। विद्यालय के चारों ओर कूड़ों के ढेर जमा है। जहां हमेशा आवारा जानवर डेरा डाले रहते हैं। सामने नाला है। विद्यालय के हैंडपंप से चबूतरा नदारद है। शौचालय बदहाल है तथा चहारदीवारी टूटी पड़ी है। यही हाल प्राथमिक विद्यालय मौलना गांव का है। कीचड़ से सने संकीर्ण मार्ग से होकर बच्चे विद्यालय जाते हैं। कुछ ऐसा ही नजारा समसातरहर के प्राथमिक विद्यालय शेखवानी का है। टूटे शौचालय व चहारदीवारी तथा जर्जर विद्यालय भवन सरकार की मंशा पर पानी फेर रहा है। विद्यालयों में प्रतिवर्ष शासन द्वारा रखरखाव व रंग-रोगन के लिए बजट आता है, लेकिन इसका प्रयोग कहां किया जाता है, पता नहीं। सर्वशिक्षा अभियान के तहत सरकार विभिन्न योजनाओं पर करोड़ों खर्च कर भले ही हालत सुधारने के लिए फिक्रमंद है, लेकिन विद्यालय के जर्जर हालत सरकारी मंशा की धज्जियां उड़ा रहे हैं।

कहां खर्च होता है रखरखाव का बजट

रिसिया : शासन द्वारा हर वर्ष प्राथमिक विद्यालयों में रखरखाव के लिए पांच हजार व साज-सज्जा के लिए पांच हजार से आठ हजार रुपये आवंटित किया जाता है। वहीं उच्च प्राथमिक विद्यालय में रखरखाव के लिए आठ हजार व साज-सज्जा के लिए पांच से बारह हजार आता है। लेकिन बंदरबांट के चलते इनका पूर्ण उपयोग कहीं नजर नहीं आता है।

विद्यालय निर्माण के लिए आवंटित धनराशि

रिसिया : प्राथमिक विद्यालय के निर्माण के लिए शासन द्वारा तकरीबन सात लाख व उच्च प्राथमिक विद्यालय के लिए नौ लाख रुपये आवंटित किए जाते हैं। इस धनराशि में विद्यालय का मुख्य भवन, रसोईघर, शौचालय व बाउंड्रीवाल का निर्माण कराया जाता है, लेकिन भारी-भरकम बजट के बावजूद बनने वाले विद्यालय एक सत्र में बदहाल हो जाते हैं।

संपूर्ण स्वच्छता अभियान का उड़ रहा मजाक

रिसिया : सरकार भले ही संपूर्ण स्वच्छता अभियान के तहत घर-घर शौचालय निर्माण के लिए फिक्रमंद है और लोगों को स्लोगनों व नुक्कड़-नाटक के जरिए प्रेरित कर रही हो। लेकिन सरकारी विद्यालयों में टूटे शौचालय प्रशासन के इन अभियानों की पोल खोल रही है। ऐसे में इन विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं खुले में शौच जाने के लिए मजबूर हैं।

बोले एबीएसए

खंड शिक्षा अधिकारी रिसिया बृजलाल वर्मा ने बताया कि मुझे जल्द ही इस ब्लॉक का प्रभार मिला है। जो विद्यालय जर्जर हालत में होंगे उन्हें दुरुस्त कराने के लिए विभागीय लिखा-पढ़ी की जाएगी।


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