इन्हें सालता है बिटिया की सुरक्षा का दर्द
बहराइच : आधी आबादी की भागीदार नारी लोकसभा चुनाव में अपने विचारों को लेकर सजग हैं। हालांकि उन्हें यह मलाल शाल रहा है कि रसोई के सामान महंगे हो गए हैं। आधी उम्र पार कर चुकी महिलाएं युवा दहलीज पर पहुंची बेटियों की सुरक्षा को लेकर खासा गंभीर हैं। खाने के बाद सबसे अहम मसला उनकी सुरक्षा का ही है। रोजगार के अवसर स्थानीय स्तर पर विकसित हों जिससे उन्हें गैर जिले का रुख न करना पड़े। घर में चल रही परिचर्चा को अभिलाष श्रीवास्तव ने सुना। प्रस्तुत है रिपोर्ट -
नानपारा नगर के एक परिवार में 55 वर्षीय आयशा बेगम सूप चला रही थीं। चावल साफ हो रहा था। ज्यादा जानकारी राजनीति में तो नहीं थी, फिर भी कहने लगी-सरकार वही ठीक जो दिन और रात एक जैसी दिखे। महिलाएं हर वक्त सुरक्षित रहें। घर से बाहर निकलने वाली बेटियों चिंता उन्हें ज्यादा थी। रसोई महंगी होने का भी दर्द उनकी जुबां से छलकता है। अम्मी को रोकते हुए बीस वर्षीय बेटी राहिला बेगम ने कहा कि आधुनिक शिक्षा के लिए सरकार ने प्रयास किए हैं। वे पहली बार मतदाता बनी हैं। उनकी छोटी बहन दरख्शां ने कहा कि सुरक्षा जरूरी है। कहकशां ने चर्चा को रोका और अपना तर्क रखते हुए कहा कि स्थानीय स्तर पर रोजगार मिलने चाहिए, जिससे उन्हें दूर न जाना पड़े। उन्होंने अपनी बात को विस्तार देते हुए कहा कि लड़कियों के आधुनिक शिक्षा में यहां रोड़े खत्म नहीं हुए हैं। हुमा, मरियम, बुशरा जिले को आगे ले जाने के लिए उम्मीद करती दिखीं।