तिल-तिल सता रहा जाम का झाम
बहराइच : जाम। इसे सुनते ही कदम स्वत: ठिठक जाते हैं। शहर में यह लोगों के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है। सड़कों की चंद मीटर की दूरी पार करना मुश्किल हो रहा है। वाहनों की खरीद दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। लेकिन बढ़ते वाहनों का बोझ सड़कें उठा पाएंगी, इस पर जनप्रतिनिधि मौन रहे। गत दो दशक में शहर की आबादी तेजी से बढ़ गई। चौतरफा कंकरीट की इमारतें खड़ी हो गई। कभी खाली दिखने वाली सड़कों पर अब सफर तय करना आसान नहीं दिखता। माननीयों ने बढ़ी आबादी को वोट बैंक की तरह हांका जरूर, लेकिन उन्हें बाईपास जैसी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए प्रयास करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई।
जिले की आबादी 37 लाख के आसपास है। इनमें बहराइच शहर की तादाद तकरीबन तीन लाख से ऊपर है। सड़कों पर वाहनों का बढ़ता बोझ आम आदमी के कदम को रोक रहा है। शहर का छावनी बाजार बाजार, चौक घंटाघर हो, अस्पताल चौराहा हो या पानी टंकी। सभी स्थानों पर जाम की समस्या आए दिन बनी रहती है। ऐसे में भारी वाहनों के गुजरने से लोगों को पैदल चलने में भी दिक्कतें होती हैं। लोगों की जान खतरे में बनी रहती है। दुपहिया हों या चारपहिया, इनकी संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है। परिवहन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक जिले में छोटे-बड़े दो लाख से अधिक वाहन हैं। हर वर्ष वाहनों का पंजीकरण कराने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। यह हाल तब है जब ट्रालियों का पंजीकरण नहीं कराया जाता है। इसके अलावा आसपास के जिलों के हजारों वाहन प्रतिदिन सड़कों पर दबाव बनाए रहते हैं। काफी अर्से से लखनऊ मार्ग से गोंडा जाने वाले मार्ग पर बाईपास की एक आवाज उठ रही है, लेकिन माननीयों के एजेंडे में यह गायब है। सड़कें गलियों की मानिंद सिकुड़ती जा रही हैं। इन पर निकलना मुश्किल हो रहा है। जाम के झाम में कब लोग फंस जाएं, इसके गवाह खुद माननीय भी होते हैं, लेकिन बड़ी पंचायतों में इस पर फिक्र करना उन्हें मुनासिब नहीं दिखता।