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चौपाल का हुक्का भी चला कैशलेस की चाल

अश्वनी त्रिपाठी, बागपत: पश्चिमी उप्र का चौपाल, पंचायत और हुक्के से गहरा नाता है। पंचायत में हुक्के

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 Jul 2017 10:47 PM (IST)Updated: Sat, 15 Jul 2017 10:47 PM (IST)
चौपाल का हुक्का भी चला कैशलेस की चाल
चौपाल का हुक्का भी चला कैशलेस की चाल

अश्वनी त्रिपाठी, बागपत:

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पश्चिमी उप्र का चौपाल, पंचायत और हुक्के से गहरा नाता है। पंचायत में हुक्के की गुड़गुड़ाहट पर हुआ फैसला समाज में सर माथे माना जाता है। पीएम मोदी ने कैशलेस होने की अपील की तो शुरुआत में गांव-देहात में अपवाद के तौर पर इसका विरोध हुआ, लेकिन स्थिति बदल चुकी है। अब हुक्का खुद कैशलेस हो गया है। बागपत के बाजारों में कैशलेस हुक्का बिक रहा है, तो ऑनलाइन बाजार में देसी से लेकर विदेशी हुक्कों की खरीददारी खूब की जा रही है।

नोटबंदी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता से कैशलेस होने की अपील की तो पंचायतों ने गांवों के लिए इसे अव्यवहारिक बताया, लेकिन कुछ ही महीनों में हालात बदले हैं। कैशलेस का प्रयोग ग्रामीणों ने शुरू किया तो खुद हुक्के को भी कैशलेस व्यवस्था रास आने लगी। आलम यह है कि बाजारों में हुक्का कैशलेस होकर बिक रहा है। बागपत के बाजारों में हर रोज हुक्के की कैशलेस खरीददारी की जा रही है। बागपत के कोर्ट रोड पर एसपी तिराहे स्थित हुक्का विक्रेता अनिल प्रजापति ने बताया कि पहले वह हुक्के को नकद बेचा करते थे। नोटबंदी के बाद नकदी के संकट में हुक्के की बिक्री भी प्रभावित हुई। अब कुछ महीनों में फिर बिक्री बढ़ी है, लेकिन इस बार ग्राहक हुक्के को नकदी के अलावा कैशलेस भी खरीद रहे हैं।

ऑनलाइन बाजार में भी खरीदारी

खुले बाजार में कैशलेस एप के अलावा ऑनलाइन बाजार से भी हुक्कों की खरीददारी की जा रही है। बागपत के मोहल्ला ठाकुरद्वारा निवासी बेगराज बताते हैं कि उन्होंने डेबिट कार्ड से पेमेंट कर एक हुक्का आनलाइन खरीदा। इसी तरह छपरौली निवासी रामबीर चौधरी ने भी ऑनलाइन साइट्स से हुक्का मंगाया। बत्तीसा खाप के बाबा सूरजमल का कहना है कि कैशलेस लेनदेन से काले धन का प्रवाह रुकेगा। इसकी शुरुआत हुक्के से हो, तो इससे अच्छा कुछ नहीं हो सकता।

पांच सौ से बीस हजार तक का हुक्का उपलब्ध

ट्रेडर्स कारोबारी विकास ¨सघल बताते हैं कि इन आनलाइन साइट्स पर हुक्कों की रेंज में बढ़ोतरी हुई है। पांच सौ रुपए से लेकर 20 हजार रुपये तक के हुक्के आनलाइन बाजार में उपलब्ध हैं। सबसे अधिक मांग ईरानी हुक्के की है।

जनपद में असेंबल किए जाते हैं हुक्के के हिस्से

बागपत जनपद में हुक्के का निर्माण बड़े पैमाने पर नहीं होता। यहां हुक्के के हिस्सों को लाकर उसे असेंबल किया जाता है। बागपत में हरियाणा के पानीपत के हुक्कों की अधिक मांग है। खुर्जा में बनाए गए सिरेमिक हुक्के ब्रिटेन, पेरिस, पालैंड तथा अन्य कई देशों में निर्यात किए जाते हैं।

इन्होंने कहा..

हुक्के की आनलाइन खरीद अच्छे संकेत हैं। बागपत में पहले कुल पांच फीसदी लोग कैशलेस पेमेंट करते थे। अब यह आंकड़ा तीस फीसदी तक पहुंच चुका है। क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, पेटीएम तथा आधार कार्ड के जरिए लेनदेन में इजाफा हुआ है। यही हाल आसपास के जिलों का है।

- पीवी राजू, जिला अग्रणी बैंक प्रबंधक।


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