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और न जाने कहां गई जिले की आब-वो-हवा

बागपत: यमुना और ¨हडन दोआब में बसे बागपत की आब-ओ-हवा बिगड़ चुकी है। हरियाली मिट रही है और वायु में जहर

By JagranEdited By: Published: Thu, 01 Jun 2017 11:51 PM (IST)Updated: Thu, 01 Jun 2017 11:51 PM (IST)
और न जाने कहां गई जिले की आब-वो-हवा
और न जाने कहां गई जिले की आब-वो-हवा

बागपत: यमुना और ¨हडन दोआब में बसे बागपत की आब-ओ-हवा बिगड़ चुकी है। हरियाली मिट रही है और वायु में जहर घुलने से लोगों को सांस लेना दूभर हो गया है। ईंट-भट्ठों की चिमनियों और वाहनों के साइलेंसरों से निकलता धुआं लोगो को बेदम करने लगा है। यही कारण है कि बागपत की वायु में पीएम -2.5 यानी सूक्ष्म कण 70 से 100 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक और पीएम-10 यानी बड़े कण 100 से 123 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक तक पहुंच गया है। सूक्ष्म कण और बड़े कण का स्तर बढ़ने से लोग दमा, एलर्जी, सांस फूलने, आंखों में जलन और कैंसर जैसी बीमारियों के शिकार हो रहे हैं।

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यूं बिगड़ रही हवा

बागपत में वायु प्रदूषण का बड़ा कारण ईंट भट्ठे हैं। बागपत की 245 ग्राम पंचायतों में 550 ईंट-भट्ठों की चिमिनियों से निकलता धुंआ हवा में जहर घोल रहा है। जिधर देखो, उधर ही आकाश में धुआं-धुआं दिखता है। ईंट पथाई को मिट्टी खनन प्रदूषण समस्या बढ़ाने में कसर नहीं छोड़ रहा है। सरकारी तंत्र की मेहरबानी से ईंट-भट्ठों में वाहनों के रिजेक्ट टायर तथा रबर जलाना आम बात है। पिलाना व खेकड़ा एरिया में कई स्थानों पर बैट्री तथा रबर पिघलाने का काम जारी है। वहीं दिल्ली-सहारनपुर हाईवे और बागपत

मेरठ मार्ग से रोजाना गुजरते

करीब 20 हजार वाहनों के साइलेंसरों से निकलने वाला धुआं भी बागपत समेत गांवों की भी हवा बुरी तरह प्रदूषित कर रहा है। वायु में कार्बन डाइआक्साइड का स्तर बढ़ा है। सर्दी के दिनों में तो वायु प्रदूषण की समस्या और बढ़ जाती है, क्योंकि तीनों चीनी मिलें और 100 से ज्यादा कोल्हू-क्रेशरों की चिमनियों से बेआड़ धुआं निकलता है।

आंख मूंदे हैं हुकूमत

पर्यावरण का कत्ल करने में शासन-प्रशासन भी पीछे नहीं है। दस साल में 1500 हेक्टेयर से घटकर अब 800 हेक्टेयर जमीन पर वन हैं। बड़ी समस्या पेड़ों का अवैध कटान तथा कागजों पर पौधरोपण है। वन विभाग मनरेगा से ग्राम पंचायतें तथा अन्य सरकारी महकमे एक लाख से ज्यादा पौधे लगवाता है, पर ये पौधे नजर कहीं नहीं आते। अवैध ढंग से संचालित ईंट-भट्ठों तथा दस-पंद्रह साल पहले कंडम हुए वाहनों का संचालन रोकने की फुर्सत सरकारी तंत्र को नहीं है। स्वच्छता अभियान धरातल पर कम कागजों पर ज्यादा चलने से वायु प्रदूषित हो रही है, क्योंकि कूड़ा-कबाड़ और मलबा शहर की बस्तियों में पड़ा रहना आम है। इससे ज्यादा दयनीय स्थिति और क्या होगी कि बागपत में न तो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का न दफ्तर है, न अफसर।

वायु प्रदूषण को नियंत्रित

कराएंगे : डीएम

बागपत में नियंत्रण बोर्ड का दफ्तर नहीं है। शासन से अनुरोध करेंगे कि बागपत में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का अधिकरी नियुक्त किया जाए। बागपत में वायु प्रदूषण की नहीं ,बल्कि जल प्रदूषण की ज्यादा समस्या है। ध्यान रखेंगे कि वायु प्रदूषण न बढ़े।

-भवानी ¨सह खंगारौत, डीएम


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