इनकी आरटीआइ से हिलता है हर महकमा
बागपत : सरकारी महकमों की मोटी फाइलों में दबा आपका हक और आंकड़े निकालने का एक ही रास्ता है, वह है आरटी
बागपत : सरकारी महकमों की मोटी फाइलों में दबा आपका हक और आंकड़े निकालने का एक ही रास्ता है, वह है आरटीआइ। इस कानून को बने 10 साल से ज्यादा हो गए हैं, लेकिन बहुत कम लोग इसका उपयोग कर पा रहे हैं। फिर भी कुछ लोग ऐसे हैं जो जनता को उनके हक बताने के लिए लगातार महकमे से टक्कर लेते रहते हैं। बागपत में ऐसे ही एक शख्स हैं आरटीआइ कार्यकर्ता पवन तिवारी।
अग्रवाल मंडी टटीरी निवासी व पेशे से अधिवक्ता पवन तिवारी का पत्र जब सरकारी महकमों में पहुंचता है तो वहां खलबली मच जाती है। अधिकारी और कर्मचारी जान जाते हैं कि सूचना ही कुछ ऐसी होगी, जिसे देने के बाद जनता को उनका हक मालूम चल जाएगा। उन पर कई बार विभागों से आरटीआइ वापस लेने का दबाव आता है लेकिन वह साफ मना कर देते हैं। कहते हैं कि यह उनका अब कर्तव्य बन गया है। दबी हुई बातें लोगों के सामने आनी चाहिए। आइए जानते हैं उनकी आरटीआइ से क्या जानकारी मिली और क्या फायदा मिलेगा?
बनेगी आरटीआइ की
डिवीजनल बेंच
उन्होंने महाराष्ट्र में आरटीआइ डाली तो मालूम हुआ कि उस बड़े राज्य में राज्य सूचना आयोग की डिवीजनल बेंच है। इसके आधार पर उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका डाली। उनकी याचिका पर कोर्ट ने सात सितंबर 2016 को उत्तर प्रदेश में भी डिवीजनल बेंच स्थापित करने का आदेश दिया।
सिर्फ गाजियाबाद
तहसील में सूखा
आरटीआइ से मालूम चला कि 2015-16 में सूखा राहत कोष से मेरठ व सहारनपुर मंडल में सिर्फ गाजियाबाद तहसील के साढ़े नौ हजार किसानों को मुआवजा मिला। अन्य को सूखा योग्य नहीं माना गया।
255 बीघे पर अवैध
फसल काटती है पुलिस
पुलिस लाइन के पास 255 बीघा जमीन खाली पड़ी है। इस जमीन को वैसे तो लोक कल्याण के कार्यालय के लिए आवंटित किया जाना चाहिए, लेकिन उसे पुलिस लाइन लोगों को देकर उसका पैसा हासिल करती है। वह पैसा किस मद में जाता है, इसका जवाब नहीं दिया गया।
गड़ासे के नाम पर
बेवकूफ बनाया
सरकार ने योजना दी कि आइएसआइ मार्का गड़ासे 27 हजार के हैं, जिन्हें खरीदने पर 10 हजार की सब्सिडी दी जाएगी। किसानों ने जब खरीदे तो उन्हें आइएसओ मार्का गंडासा दिया गया और जो गड़ासा दिया गया, वह बाजार में 16 हजार में ही मिल रहा है।
विद्युत मीटरों का भगवान
ही मालिक
सूचना मांगी थी कि बिजली के मीटर किस संस्था से प्रमाणित हैं और राष्ट्रीय मानक क्या हैं? इस पर विद्युत निगम कोई जवाब नहीं दे सका।
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''जनहित के लिए मैं सूचना मांगता हूं। भविष्य में यह कार्य करता रहूंगा। समाचार पत्र में प्रकाशित होने से इस आरटीआइ का लोगों को फायदा मिलता है।''
-पवन तिवारी, आरटीआइ कार्यकर्ता।