चार दशक से जल, जंगल और जमीन बचाने की मुहिम
बड़ौत(बागपत): देश-विदेश में जलपुरुष के नाम से जाने-जाने वाले मैग्सेसे पुरस्कार विजेता राजेंद्र ¨सह को
बड़ौत(बागपत): देश-विदेश में जलपुरुष के नाम से जाने-जाने वाले मैग्सेसे पुरस्कार विजेता राजेंद्र ¨सह को प्रदेश सरकार ने यश भारती पुरस्कार दिया है। उनकी इस उपलब्धि पर जिले में जश्न का माहौल है। करीब चार दशक से जल, जंगल और जमीन बचाने की मुहिम चलाने वाले जलपुरुष फिलहाल विश्व जल शांति यात्रा पर निकले हुए हैं।
मूल रूप से जिले के डौला गांव के रहने वाले राजेंद्र ¨सह को प्रकृति से बेहद लगाव है। अंधाधुंध वन कटान और अतिक्रमण व प्रदूषण से कराहती नदियों को पुनर्जीवन देने के लिए उन्होंने मुहिम चला रखी है। इसी धुन में करीब 43 साल पहले राजेंद्र ¨सह ने अपना गांव छोड़ दिया था और राजस्थान के जयपुर में जा बसे। वहां उन्होंने मेहनत के बूते शिक्षक की सरकारी नौकरी पाई, लेकिन कुछ साल बाद ही उन्होंने नौकरी छोड़ दी और पर्यावरण स्वच्छता की ओर निकल पड़े। इसके बाद उन्होंने राजस्थान के भीकमपुरा गांव के पास घने जंगल के बीच अपना आश्रम बनाया और वहां नदियों को बचाने के लिए रूपरेखा बनाई। आसपास के गांव वालों के सहयोग से उन्होंने वहां मृत अवस्था में पड़ी भगानी, सरसा, रूपारेल, महेश्रा समेत सात नदियों को पुनर्जीवन दिया। जो नदियां कई-कई दशक पहले खत्म हो चुकी थीं, अब उनमें निर्मल-अविरल जल का प्रवाह होता है। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और मुहिम राष्ट्रव्यापी बना दी। धीरे-धीरे राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, कर्नाटक आदि राज्यों के लोग भी जुड़ने लगे।
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सबसे पहले मिला राष्ट्रपति अवार्ड
जलपुरुष के इस कार्य को देखते हुए उन्हें 1999 के आसपास राष्ट्रपति अवार्ड से नवाजा गया, इसके बाद उन्हें 2001 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार मिला। यह उपलब्धि हासिल हुई तो इसके बाद उन्हें आस्ट्रेलिया रिवर अवार्ड, पन्नालाल बजाज समेत एक दर्जन से अधिक अवार्ड दिए गए। 2015 में उन्हें दुनिया का सबसे बड़ा अवार्ड स्टॉक होम पुरस्कार भी दिया गया। फिलहाल वह भीकमपुरा में तरुण भारत संघ नाम से आश्रम चलाते हैं और राजस्थान सरकार के सहयोग से उन्होंने वहां पर 11 हजार 900 तालाबों को पुनर्जीवन दिया। इस बार उन्हें यश भारती अवार्ड से नवाजा गया है, जो जिले के लिए बड़े गर्व की बात है।
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जिले में जश्न
ग्रामीण एवं पर्यावरण विकास समिति के सचिव कृष्णपाल डौला ने बताया कि उनकी इस उपलब्धि से गांव ही नहीं बल्कि, जिले में जश्न का माहौल है। बागपत जिले में वह ¨हडन, काली, कृष्णा समेत यमुना नदी को अतिक्रमण व प्रदूषण से बचाने के लिए मुहिम चला रहे हैं। हाल ही में वह विश्व शांति जल यात्रा पर निकले हुए हैं, जो 2017 में भारत में आकर ही संपन्न होगी।