आज हामिद को सम्मानित करेंगे सीएम अखिलेश यादव
बड़ौत(बागपत): क्रांति ग्राम बसौद की धरती पर जन्मे मोटर मैकेनिक हामिद को शनिवार लखनऊ में मुख्यमंत्री अ
बड़ौत(बागपत): क्रांति ग्राम बसौद की धरती पर जन्मे मोटर मैकेनिक हामिद को शनिवार लखनऊ में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सम्मानित करेंगे। हवा में इंजन बनाने वाले हामिद ही नहीं बल्कि, यह बागपत जिले के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। हालांकि हामिद का दुर्भाग्य है कि दो दशक की मेहनत से बनाया गया उसका इंजन अभी पेटेंट नहीं हो सका है। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्रालय को चिट्ठी भेजकर इसमें मदद करने की गुहार लगाई है।
बीस वर्षो की अथक मेहनत के बाद हामिद ने 2 जनवरी 2011 को हवा से चलने वाला इंजन बनाया था। इसके बाद उसने इसी इंजन का बड़ा रूप बनाया। 21 नवंबर-11 को तत्कालीन डीएम पीएन ¨सह से अनुमति लेकर तत्कालीन एडीएम एनपी पांडेय की उपस्थिति में उसने वह इंजन मारुति कार में लगाकर चलाकर दिखा दी। हामिद के मुताबिक, उसके इस देशी आविष्कार को देख टाटा मोटर्स कंपनी समेत देश की कई बड़ी कंपनियों ने उसे अपनी कंपनी में नौकरी का भी ऑफर दिया था। उनकी शर्त थी, हवा के इंजन की तकनीक हामिद उन्हें सौंप देगा, लेकिन कैफी ने अपने आविष्कार को किसी भी कंपनी को सौंपने से साफ इंकार कर दिया और खुद ही इंजन को पेटेंट कराने के लिए दौड़ पड़ा। कई बार उसने केंद्र व प्रदेश सरकार से इंजन को पेटेंट कराने की मांग की, लेकिन अभी तक उसका पेटेंट नहीं हो पाया। अब हामिद ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से इंजन को पेटेंट कराने की मांग की है। दूसरी ओर इस प्रतिभा को 28 अगस्त 2015 को सीएम सम्मानित कर चुके हैं और आज एक बार फिर प्रोद्योगिकी विज्ञान विभाग की ओर से सीएम उन्हें दूसरा अवार्ड देने जा रहे हैं। प्रात: 9 बजे वह लखनऊ में सम्मानित होंगे।
आई थी बड़ी टीम
हामिद ने लखनऊ से फोन कर दैनिक जागरण को बताया कि यह कार्यक्रम 22 जुलाई को होना था, लेकिन किन्हीं कारण उसके स्थगित कर 23 जुलाई कर दिया गया है। हामिद के इस इंजन को परखने के लिए कुछ दिन पहले प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव हिमांशु यादव व प्रौद्योगिकी विज्ञान विभाग की टीम बसौद पहुंची थी, जिसके बाद वह लोनी उसके आवास पर पहुंची और इंजन को देखा। करीब पंद्रह दिन पूर्व उन्हें सम्मानित करने के लिए प्रौद्योगिकी विभाग से पत्र आया था।
गंवा दिया जीवन
हामिद ने इंजन को बनाने में करीब तीन लाख रुपये और अपनी ¨जदगी के बहूमूल्य 22 साल गवां दिए। यहां तक कि गांव से अपना घर भी बेच दिया और लोनी (गाजियाबाद) में जाकर रहने लगा, लेकिन अभी तक नतीजा शून्य है। यह देश का पहला ऐसा आविष्कार होगा, जो भारत को बड़ी शोहरत दिला सकता है।
कोरिया और जापान ने
किया था प्रयास
हामिद ने बताया कि उसके इंजन से पहले कोरिया व जापान के युवकों ने भी हवा से चलने वाला इंजन बनाया था, लेकिन जब वे पेटेंट कराने लगे तो जांच में पाया गया कि उन्होंने हवा में केमिकल मिलाया हुआ था, जिस कारण उनके इंजन पेटेंट नहीं हो सके।